
जब किसी बड़ी पैन-इंडिया फिल्म की सफलता की बात होती है, तो अक्सर चर्चा सुपरस्टार्स, भव्य सेट्स और बड़े बजट तक सीमित रह जाती है। लेकिन 2025 की महाकाव्य फैंटेसी फिल्म ‘वृषभ’ के साथ एक ऐसा नाम उभरकर सामने आया है, जिसने न सिर्फ दर्शकों का ध्यान खींचा बल्कि समीक्षकों और ट्रेड एक्सपर्ट्स को भी चौंका दिया समरजीत लंकेश।
वृषभ की शानदार बॉक्स ऑफिस परफॉर्मेंस के बीच, समरजीत लंकेश को मलयालम सिनेमा के दिग्गज सुपरस्टार मोहनलाल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े देखा जा रहा है। यह किसी भी युवा अभिनेता के लिए आसान उपलब्धि नहीं होती, खासकर तब जब फिल्म का पैमाना, विषय और अपेक्षाएं बेहद ऊँची हों।
बॉक्स ऑफिस के साथ-साथ ज़मीन पर उतरती सराहना
वृषभ न सिर्फ टिकट खिड़की पर मजबूत पकड़ बनाए हुए है, बल्कि दर्शकों के बीच भी इसकी चर्चा लगातार बढ़ रही है। ट्रेड रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म को मल्टी-लैंग्वेज रिलीज़ का फायदा मिला है और वर्ड-ऑफ-माउथ इसके लिए सबसे बड़ा हथियार साबित हुआ है। इसी चर्चा के केंद्र में हैं समरजीत लंकेश, जिनकी स्क्रीन प्रेज़ेंस, बॉडी लैंग्वेज और एक्शन सीक्वेंस को लेकर दर्शक खुलकर तारीफ कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर “Tej Varma” ट्रेंड कर रहा है वही किरदार जिसे समरजीत ने निभाया है। लोग उनके एक्शन मूव्स, एक्सप्रेशन्स और खास तौर पर उनकी इमोशनल रेंज की तुलना सीधे सीनियर एक्टर्स से कर रहे हैं।
मोहनलाल के साथ समानांतर सराहना
वृषभ की सबसे बड़ी ताकत मानी जा रही है मोहनलाल और समरजीत लंकेश की ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री। जहां मोहनलाल अपने अनुभव और ठहराव से फिल्म को संतुलन देते हैं, वहीं समरजीत ऊर्जा, युवा आक्रोश और आंतरिक संघर्ष को पर्दे पर जीवंत करते हैं।
यह दुर्लभ है कि किसी सुपरस्टार के साथ युवा अभिनेता की मौजूदगी दब न जाए लेकिन समरजीत यहां खुद को साबित करते हैं।
किरदार जो फिल्म की आत्मा बन गया
फिल्म में समरजीत लंकेश तेज वर्मा की भूमिका निभाते हैं एक योद्धा पुत्र, जिसकी आत्मा अतीत और वर्तमान के बीच फंसी हुई है। पुनर्जन्म, प्राचीन शत्रुता और भावनात्मक टकराव के बीच उनका किरदार कहानी की धुरी बन जाता है।
उनका संघर्ष सिर्फ तलवारों या युद्ध तक सीमित नहीं रहता, बल्कि अंदरूनी भावनात्मक द्वंद्व तक जाता है और यहीं समरजीत अपनी अभिनय क्षमता का असली परिचय देते हैं।
मेहनत जो पर्दे पर दिखती है
वृषभ के लिए समरजीत ने चार महीनों से ज्यादा का कठिन प्रशिक्षण लिया घुड़सवारी, तलवारबाज़ी, जिम्नास्टिक्स और एक्शन कोरियोग्राफी। मुंबई और अन्य लोकेशंस पर लंबे समय तक कैंप कर उन्होंने अपने किरदार को पूरी तरह आत्मसात किया।
यही कारण है कि उनके एक्शन सीन्स बनावटी नहीं, बल्कि स्वाभाविक और प्रभावशाली लगते हैं।
विरासत से पहचान तक का सफर
समरजीत लंकेश का सिनेमा से जुड़ाव सिर्फ संयोग नहीं है। वह निर्देशक-निर्माता इंद्रजीत लंकेश के बेटे हैं और प्रसिद्ध लेखक-फिल्मकार पी. लंकेश के पोते। लेकिन वृषभ यह साफ कर देती है कि वह सिर्फ विरासत के सहारे आगे नहीं बढ़े उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई है।
पुरस्कारों से आत्मविश्वास तक
‘गौरी’ से डेब्यू कर SIIMA बेस्ट डेब्यूट अवॉर्ड जीतने वाले समरजीत पहले ही क्रिटिक्स की नजर में थे। अब वृषभ के साथ Lumiere National Award, Journalists Critics Award और Chittara Film Awards जैसे सम्मानों ने उनकी स्थिति और मजबूत कर दी है।
एक सितारे का जन्म
वृषभ सिर्फ एक सफल फिल्म नहीं है यह समरजीत लंकेश के स्टारडम की नींव है। जिस तरह से दर्शक उनके हर मूव, हर डायलॉग और हर एक्शन बीट को नोटिस कर रहे हैं, वह साफ संकेत है कि भारतीय सिनेमा को एक नया चेहरा मिल चुका है।















