
- पहले ‘वीरा सिटी सेंटर’ नाम से प्रस्तावित था प्रोजेक्ट, रजिस्ट्री जांच के आदेश
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण ने अगली सुनवाई 5 फरवरी 2026 तय की
Kiratpur, Bijnor : नगर क्षेत्र के एक पुराने तालाब की भूमि पर बनाए गए विवादित व्यावसायिक परिसर को लेकर उठा मामला अब राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) की दहलीज तक पहुंच गया है। तालाब की भूमि पर कथित अतिक्रमण कर बनाए गए जिस मॉल को पहले ‘वीरा सिटी सेंटर’ के नाम से जाना जाता था, वही बाद में ‘किरतपुर सिटी सेंटर मॉल’ के नाम से प्रचारित किया गया। इस गंभीर पर्यावरणीय विवाद पर NGT, प्रधान पीठ, नई दिल्ली ने ऍप्लिकेशन नंबर 1270/2024 की सुनवाई करते हुए अहम निर्देश जारी किए हैं।
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव (अध्यक्ष) एवं डॉ. ए. सेंथिल वेल (विशेषज्ञ सदस्य) की पीठ ने की। यह याचिका इमरान अली बनाम पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय व अन्य के नाम से दाखिल है।
सुनवाई के दौरान प्रस्तावित प्रतिवादी संख्या–8 की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता ने आपत्ति उठाई कि पूर्व आदेश के बावजूद आवेदक द्वारा मूल आवेदन में आवश्यक संशोधन, यानी केस का शीर्षक और पक्षकारों की सूची, विधिवत रूप से नहीं किए गए। इसी आधार पर रजिस्ट्री द्वारा प्रतिवादी का जवाब स्वीकार नहीं किया गया। वहीं, आवेदक की ओर से इस दावे को खारिज करते हुए कहा गया कि सभी आवश्यक संशोधन पहले ही कर दिए गए हैं और संबंधित दस्तावेज रिकॉर्ड पर दाखिल हैं।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद ट्रिब्यूनल ने रजिस्ट्री को निर्देश दिया कि वह यह सत्यापित करे कि संशोधन वास्तव में किए गए हैं या नहीं और इसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करे। ट्रिब्यूनल ने यह भी स्पष्ट किया कि संशोधन सही पाए जाने पर प्रतिवादी संख्या–8 को अपना जवाब दाखिल करने की अनुमति दी जाएगी।
तालाब की भूमि पर बने मॉल का दावा बना केंद्रबिंदु
सुनवाई के दौरान प्रतिवादी संख्या–1 और 2 की ओर से यह महत्वपूर्ण दावा किया गया कि जिस भूमि पर किरतपुर सिटी सेंटर मॉल खड़ा है, वह दरअसल तालाब (जल निकाय) का हिस्सा है। बताया गया कि यह वही भूमि है, जिस पर पहले ‘वीरा सिटी सेंटर’ के नाम से निर्माण प्रस्तावित किया गया था और बाद में नाम बदलकर मॉल का संचालन किया गया।
यदि यह दावा प्रमाणित होता है तो मामला गंभीर पर्यावरणीय उल्लंघन की श्रेणी में आएगा, क्योंकि कानूनन जल निकायों पर किसी भी प्रकार का कब्जा, भराव या व्यावसायिक निर्माण प्रतिबंधित है।
स्थानीय नागरिकों का कहना है कि यह तालाब वर्षों से इलाके की जलनिकासी और भूजल स्तर बनाए रखने में अहम भूमिका निभाता रहा है। मॉल निर्माण के बाद आसपास जलभराव और पर्यावरणीय असंतुलन की समस्या बढ़ी है। लोगों का आरोप है कि नाम बदलकर प्रोजेक्ट को वैध दिखाने की कोशिश की गई।
प्रतिवादी संख्या–4 के अधिवक्ता ने ट्रिब्यूनल को बताया कि प्रतिवादी संख्या–8 के खिलाफ विभागीय स्तर पर कार्रवाई शुरू की जा चुकी है और उससे संबंधित दस्तावेज रिकॉर्ड पर रखने के लिए चार सप्ताह का समय मांगा गया है।
NGT ने फिलहाल किसी भी प्रकार के निर्माण पर रोक, कब्जा हटाने या यथास्थिति बनाए रखने का कोई आदेश नहीं दिया है। हालांकि आवेदक को सभी जवाबों के विरुद्ध छह सप्ताह के भीतर प्रत्युत्तर (Rejoinder) दाखिल करने की अनुमति दी गई है।
मामले की अगली सुनवाई 05 फरवरी 2026 को होगी। तब तक रजिस्ट्री की रिपोर्ट, प्रतिवादियों के जवाब और कार्रवाई से जुड़े दस्तावेज रिकॉर्ड पर आ जाएंगे। स्थानीय स्तर पर इस फैसले को लेकर खासा उत्सुकता बनी हुई है, क्योंकि इसका सीधा असर नगर के पर्यावरण और जल संसाधनों पर पड़ेगा।
निष्कर्ष
तालाब की भूमि पर बने किरतपुर सिटी सेंटर मॉल (पूर्व में वीरा सिटी सेंटर) को लेकर उठा यह विवाद अब सिर्फ स्थानीय मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण का बड़ा मामला बन चुका है। अब सबकी निगाहें NGT की अगली सुनवाई पर टिकी हैं, जहां से इस बहुचर्चित प्रकरण की आगे की दिशा तय होगी।
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