
New Delhi : रूस–यूक्रेन युद्ध अब और अधिक खतरनाक मोड़ लेता दिखाई दे रहा है। एक ओर नाटो सदस्य देश फिनलैंड रूस की सीमा से सटे अपने इलाकों में अमेरिकी F-35A स्टील्थ फाइटर जेट तैनात करने की तैयारी में है, वहीं दूसरी ओर यूक्रेन ने रूस के भीतर और कब्जे वाले क्षेत्रों में ड्रोन हमलों का दायरा और तीव्रता बढ़ा दी है। हालिया हमलों में रूस के फाइटर जेट, एयरबेस और एयर डिफेंस सिस्टम को भारी नुकसान होने की जानकारी सामने आई है। इससे क्रेमलिन की सुरक्षा चिंताएं और गहरी हो गई हैं।
रूस की सीमा के पास तैनात होंगे 64 F-35A लड़ाकू विमान
फिनलैंड ने 16 दिसंबर को अमेरिका के टेक्सास स्थित फोर्ट वर्थ में अपना पहला F-35A लड़ाकू विमान आधिकारिक रूप से रोलआउट किया। 2021 में फाइनल की गई इस डील के तहत फिनलैंड को कुल 64 F-35 विमान मिलेंगे, जिसकी अनुमानित लागत 9.6 अरब डॉलर बताई जा रही है।
पहला विमान वर्ष 2026 में औपचारिक रूप से फिनलैंड एयरफोर्स के बेड़े में शामिल होगा। उससे पहले अमेरिकी एबिंग एयरफोर्स बेस में पायलटों और टेक्निकल स्टाफ को ट्रेनिंग दी जाएगी।
फिनलैंड और रूस के बीच 1340 किलोमीटर लंबी सीमा साझा है। फिनलैंड का साफ कहना है कि F-35 की स्टील्थ क्षमता, उन्नत सेंसर, लंबी दूरी की मारक क्षमता और नेटवर्क-सेंट्रिक वारफेयर सिस्टम रूस की संभावित आक्रामकता को रोकने के लिए महत्वपूर्ण साबित होंगे। फिनलैंड के रक्षा मंत्री ने इस तैनाती को नाटो के उत्तरी मोर्चे की सुरक्षा के लिए निर्णायक कदम बताया है।
यूक्रेन के लंबी दूरी के ड्रोन हमले तेल रिग, जहाज और एयरबेस पर नुकसान
इसी बीच यूक्रेन ने रूस पर अपने ड्रोन हमलों की दूरी और क्षमता दोनों बढ़ा दी है। यूक्रेनी सेना का दावा है कि उसके ड्रोन ने कैस्पियन सागर में स्थित रूस के फिलानोवस्की तेल क्षेत्र के ऑयल रिग को निशाना बनाया। यह हमला यूक्रेन की सीमा से 700 किलोमीटर से अधिक दूरी पर किया गया, जो यूक्रेनी ड्रोन क्षमता का बड़ा संकेत है।
इसी ऑपरेशन में रूसी गश्ती जहाज ‘ओखोतनिक’ को भी नुकसान पहुँचाने की बात कही गई है।
क्रीमिया में रूसी एयरबेस पर बड़ा झटका
- क्रीमिया के बेलबेक एयरबेस पर किए गए हमले को यूक्रेन ने बड़ी सफलता बताया है। यूक्रेन की सुरक्षा एजेंसी SBU के अनुसार:
- दो Su-27 लड़ाकू विमान नष्ट हुए
- इनमें से एक जेट पूरी तरह हथियारों से लैस था और उड़ान के लिए तैयार था
एयरबेस का कंट्रोल टावर भी क्षतिग्रस्त हुआ
इससे पहले इसी एयरबेस पर MiG-31, S-400 एयर डिफेंस सिस्टम और रडार को भी निशाना बनाया जा चुका है। यानी सिर्फ एक हफ्ते के भीतर रूस को इसी बेस पर भारी सैन्य नुकसान झेलना पड़ा है।
जमीनी मोर्चे पर रूस का पलटवार सप्लाई लाइन पर वार
जमीन पर रूस ने ओडेसा क्षेत्र की ओर दबाव बढ़ाया है। रूसी हमलों में दिनेस्टर नदी पर बने अहम पुल को कई बार निशाना बनाया गया, जो पश्चिमी सीमा की ओर जाने वाली सप्लाई लाइन के लिए बेहद महत्वपूर्ण था। इससे यूक्रेन की लगभग 40% ईंधन सप्लाई चेन प्रभावित हुई।
हालांकि यूक्रेन ने स्थिति संभालते हुए अस्थायी पोंटून ब्रिज तैयार करने और वैकल्पिक रूट से सप्लाई जारी रखने का दावा किया है।
तनाव चरम पर आगे क्या?
फिनलैंड की F-35 तैनाती और यूक्रेन के लंबी दूरी के ड्रोन हमले यह संकेत दे रहे हैं कि युद्ध एक नए, अत्याधुनिक सैन्य तकनीक-आधारित चरण में प्रवेश कर चुका है।
- रूस के लिए उत्तरी मोर्चे पर दबाव बढ़ेगा
- यूक्रेन गहरे और रणनीतिक ठिकानों को निशाना बना रहा है
- नाटो और रूस के बीच तनाव और बढ़ने के आसार हैं
स्थिति लगातार बदल रही है और आने वाले महीनों में उत्तरी यूरोप और पूर्वी मोर्चे पर भू-रणनीतिक समीकरण तेजी से बदलते दिखाई दे सकते हैं।















