दिल्ली सरकार का बड़ा प्रशासनिक सुधार: 11 की जगह 13 नए राजस्व जिलों का गठन मंजूर

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने शहर में प्रशासनिक कार्यों को अधिक कुशल, सुगम और नागरिक केंद्रित बनाने की दिशा में एक बड़ा और ऐतिहासिक निर्णय लिया है। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में शहर के मौजूदा 11 राजस्व जिलों का पुनर्गठन करते हुए 13 नए राजस्व जिलों के गठन को मंजूरी दे दी है। यह निर्णय शासन को सरल, पारदर्शी और समन्वित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार माना जा रहा है।मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत बनाने के उद्देश्य से यह निर्णय वर्षों से लंबित था, जिसे किसी भी सरकार ने निपटाने का प्रयास नहीं किया था। सरकार ने मात्र 10 माह में इस लक्ष्य को पूरा कर दिखाया है। नई संरचना के तहत 11 जिलों को बढ़ाकर 13 और 33 सब-डिविजन को बढ़ाकर 39 सब-डिविजन किया जा रहा है। इससे अधिकारियों पर कार्यभार संतुलित होगा। साथ ही नागरिकों को सेवाएं अधिक त्वरित मिलेंगी। दिल्ली सरकार ने सभी 13 जिलों में आधुनिक, बहु-विभागीय (मिनी सचिवालय) भी स्थापित करेगी, जहाँ नागरिकों को एक ही स्थान पर राजस्व कार्यालय, एसडीएम, एडीएम, तहसील, उप-पंजीयक कार्यालय समेत अनेक सेवाएं उपलब्ध होंगी। कई विभागों के दफ़्तर अलग-अलग इमारतों में होने से नागरिकों को भारी असुविधा होती थी। मिनी सचिवालय बनने से सेवाएं एक ही परिसर में मिलने लगेंगी, जिससे समन्वय बढ़ेगा और जिलाधिकारियों द्वारा निगरानी व समीक्षा अधिक प्रभावी हो जाएगी। सभी संपत्ति पंजीकरण को सुचारू और पारदर्शी बनाने के लिए सब-रजिस्ट्रार कार्यालयों की संख्या 22 से बढ़ाकर 39 की जा रही है। इन कार्यालयों की सीमाओं को भी सब-डिविजन के साथ पूरी तरह से मेल कराया जाएगा। इससे भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन और डिजिटलीकरण में तेजी आएगी। सभी नागरिकों को दूर-दूर जाकर पंजीकरण नहीं कराना पड़ेगा।


इसी उद्देश्य से अब शहर में 11 की जगह 13 जिलों का गठन किया जा रहा है। बता दें कि लंबे समय से दिल्ली के राजस्व जिलों की सीमाएं नगर निगम जोन, एनडीएमसी और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड की सीमाओं से मेल नहीं खा रही थीं। इससे सेवा वितरण में देरी, शिकायतों में भ्रम, भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन में कठिनाई और विभिन्न विभागों के क्षेत्रों में असमानता जैसी समस्याएँ लगातार उत्पन्न होती थीं। नए पुनर्गठन के बाद 13 जिलों की सीमाएं पूरी तरह से दिल्ली नगर निगम, एनडीएमसी और दिल्ली कैंटोनमेंट बोर्ड की सीमाओं के अनुरूप होंगी, जिससे शासन में स्पष्टता आएगी। साथ ही विभागों के बीच समन्वय तेज होगा।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें