
नई दिल्ली : कैबिनेट ने शुक्रवार को तीन अहम फैसलों को मंजूरी दी। सरकार ने जनगणना 2027 के लिए 11,718 करोड़ रुपये के बजट को स्वीकृति दी, जो दुनिया का सबसे बड़ा प्रशासनिक व सांख्यिकीय अभ्यास होगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि यह स्वतंत्रता के बाद देश की आठवीं और अब तक की 16वीं जनगणना होगी। इसे जनगणना अधिनियम 1948 और जनगणना नियम 1990 के तहत संचालित किया जाएगा। पिछली जनगणना 2011 में हुई थी, जबकि 2021 में कोविड महामारी के कारण इसे टालना पड़ा। जनगणना दो चरणों में होगी—पहले चरण में अप्रैल से सितंबर 2026 तक मकान सूचीकरण और आवास जनगणना की जाएगी, जबकि दूसरे चरण में फरवरी 2027 से जनसंख्या की गिनती होगी। बर्फीले क्षेत्रों में ये प्रक्रियाएं छह माह पहले शुरू होंगी।
जनगणना 2027 में जाति गणना भी शामिल की जाएगी, साथ ही स्व-गणना का विकल्प भी मिलेगा। जनगणना-एज-अ-सर्विस (CaaS) के माध्यम से विभिन्न मंत्रालयों और राज्यों को उपयोगकर्ता-अनुकूल और मशीन-पठनीय डेटा उपलब्ध कराया जाएगा। इस अभियान में लगभग 30 लाख कर्मी शामिल होंगे और 1.02 करोड़ मानव-दिवस का रोज़गार सृजित होगा।
कैबिनेट ने कोयला लिंकेज सुधार नीति कोल-सेटू को भी मंजूरी दी। मंत्री वैष्णव के अनुसार भारत कोयले के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। 2024-25 में देश ने पहली बार एक वर्ष में 1.048 अरब टन उत्पादन हासिल किया। कोयला आयात में 7.9% की कमी से 60,700 करोड़ रुपये की विदेशी मुद्रा बचत हुई है। रेल-कोयला परिवहन साझेदारी से 823 मिलियन टन कोयले का परिवहन किया गया और बिजली संयंत्रों में रिकॉर्ड स्तर का स्टॉक मौजूद है।
सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट बैठक में मनरेगा का नाम बदलकर ‘पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना’ किए जाने पर भी विचार हो सकता है, जिससे इस योजना की पहचान को नया स्वरूप देने का प्रयास है।















