
New Delhi : संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने शुक्रवार को दिल्ली में चल रहे यूनेस्को की अंतर सरकारी समिति (आईजीसी) के 20वें सत्र में के दौरान बारबाडोस की संस्कृति मंत्री डॉ. शांतल मुनरो-नाइट के साथ सांस्कृतिक विनिमय, पर्यटन और द्विपक्षीय सहयोग पर बात की।
लालकिला में चल रहे अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा पर यूनेस्को के आईजीसी के 20वें सत्र में भारत की अध्यक्षता में ईरान, वियतनाम और बारबाडोस के साथ महत्वपूर्ण द्विपक्षीय बैठकें हुईं। इसमें सांस्कृतिक साझेदारी को मजबूत करने पर जोर दिया गया।
इस सत्र का मुख्य विषय ‘जीवित विरासत’ रहा, जिसके संरक्षण और सतत विकास पर गहरे विचार-विमर्श हुए। बैठक में भारत की ओर से संस्कृति मंत्रालय की अतिरिक्त सचिव अमिता प्रसाद सरभाई और ईरान की ओर से डॉ. अलीरेज़ा इज़दी ने साझा जीवित विरासत के सुरक्षित और टिकाऊ निर्माण के लिए मिलकर काम करने के तरीकों पर चर्चा की। अमिता प्रसाद सरभाई और वियतनाम के उप संस्कृति, खेल एवं पर्यटन मंत्री होआंग दाओ कुओंग ने सांस्कृतिक आदान-प्रदान और सहयोग के नए रास्ते तलाशे।
वास्तुकला विरासत और सतत विकास पर जोर देते हुए अमिता प्रसाद ने कहा, “भारत के अनुभव से पता चलता है कि शहरी नियोजन में विरासत को शामिल करने से समुदायों को लाभ होता है। हमारी सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि जब शहर आगे बढ़ें तो हमारी विरासत पीछे न छूटे। स्मार्ट सिटी मिशन के तहत ऐसे नियम बना रहे हैं जो शहर के विकास के बीच हमारी सांस्कृतिक प्रथाओं को सुरक्षित रखें। हमने सामुदायिक अधिकार और जीआई कानून को मजबूत किया है ताकि कोई हमारी विरासत का गलत तरीके से व्यावसायिक उपयोग न कर सके। सबसे अच्छी बात यह है कि हमारे त्योहार, जैसे छठ महापर्व और देव दीपावली और नमामि गंगे जैसे मिशन, हमें पर्यावरण के प्रति जागरूक भी बना रहे हैं। संस्कृति अब केवल उत्सव नहीं, बल्कि संरक्षण का माध्यम भी बन गई है।”
मंत्रालय के निदेशक अनीश पी. राजन ने कहा कि सकारात्मक सिफारिशों की लगभग सार्वभौमिक दर, संतुलित भौगोलिक प्रतिनिधित्व और तत्काल सुरक्षा सूची के नामांकन में उल्लेखनीय वृद्धि विशेष रूप से ध्यान आकर्षित करती है। यह सफलता वैश्विक स्तर पर जीवित विरासत की जीवंतता और सांस्कृतिक अभिव्यक्ति के संरक्षण में समुदायों की मजबूत भागीदारी का स्पष्ट प्रमाण है।














