
नई दिल्ली : शीतकालीन सत्र के दौरान बुधवार को लोकसभा में चुनाव सुधारों पर विस्तृत चर्चा हुई। सरकार की ओर से गृह मंत्री अमित शाह ने बहस में हिस्सा लेते हुए विपक्ष के आरोपों का करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि एसआईआर (समग्र मतदाता सूची पुनरीक्षण) पर चर्चा संभव नहीं है, क्योंकि चुनाव आयोग सरकार के अधीन नहीं बल्कि एक स्वतंत्र संवैधानिक संस्था है। कांग्रेस एसआईआर को लेकर झूठ फैला रही है और जनमानस को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।
अमित शाह ने कहा कि दो दिनों तक संसद की कार्यवाही विपक्ष के व्यवहार के कारण बाधित रही, जबकि यह संदेश देने की कोशिश की गई कि सरकार चर्चा से भाग रही है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भाजपा और एनडीए कभी चर्चा से नहीं भागते, बल्कि विपक्ष ही बहस को भटकाने का प्रयास करता है।
गृह मंत्री के अनुसार विपक्ष एसआईआर की विस्तृत समीक्षा की मांग कर रहा है, जो असंभव है क्योंकि यह चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है। शाह ने कहा, “जब चुनाव ही चुनाव आयोग कराता है, तो एसआईआर पर चर्चा होगी तो जवाब कौन देगा? विपक्ष बात तय करता है चुनाव सुधारों पर और बोलता है एसआईआर पर—यह बहस को भ्रमित करने की रणनीति है।”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एसआईआर पर कांग्रेस के द्वारा फैलाए गए सभी भ्रम और आरोपों का उन्होंने गहन अध्ययन के बाद तथ्यात्मक जवाब दिया है। शाह ने बताया कि अनुच्छेद 324 और 327 चुनाव आयोग को मतदाता सूची के पुनरीक्षण का अधिकार देते हैं। 2000 के बाद तीन बार एसआईआर हुआ—दो बार भाजपा-एनडीए सरकारों में और एक बार यूपीए सरकार में—लेकिन तब किसी ने विरोध नहीं किया।
अमित शाह ने कहा कि शुद्ध मतदाता सूची चुनावों की पवित्रता की बुनियाद है, और घुसपैठियों को यह तय करने का हक नहीं है कि देश का मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री कौन बने।
राहुल गांधी के दावों पर प्रतिक्रिया
राहुल गांधी के उस बयान पर—जिसमें उन्होंने एक मकान में असामान्य संख्या में मतदाताओं की मौजूदगी को “परमाणु बम” जैसा मामला बताया था—अमित शाह ने कहा कि चुनाव आयोग की जांच में यह दावा गलत साबित हुआ। उन्होंने कहा कि विपक्ष वोट चोरी का झूठा नैरेटिव गढ़ने की कोशिश कर रहा है।
राहुल गांधी ने शाह के बयान को “डरा हुआ रिस्पॉन्स” बताया, जिस पर अमित शाह ने कहा,
“मैंने उनके चेहरे पर चिंता की लकीरें देख ली हैं। लेकिन मैं उनके उकसावे में नहीं आऊंगा। मैं अपना भाषण अपने क्रम से ही दूंगा। विपक्ष नेता होने के नाते उन्हें बोलने का अधिकार है, लेकिन उन्हें हमारी भी सुननी चाहिए।”















