दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण हेतु सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति राष्ट्रीय पुरस्कार 2025

  • राष्ट्रपति ने किया सम्मानित: समावेशन के अग्रदूत राजीव भट्ट को राष्ट्रीय पहचान

नई दिल्ली। देश में सीखने की विविधताओं, बच्चों की विशेष आवश्यकताओं और समावेशन के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने वाले प्रख्यात विशेषज्ञ राजीव भट्ट को इस वर्ष ‘दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण हेतु सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति राष्ट्रीय पुरस्कार 2025’ से सम्मानित किया गया। यह प्रतिष्ठित सम्मान राजधानी दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित भव्य समारोह में भारत की राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु द्वारा प्रदान किया गया।

भट्ट उन महान व्यक्तित्वों में से हैं जिन्होंने हजारों परिवारों को भ्रम, भय और सामाजिक कलंक से निकालकर नई दिशा और उम्मीद दी।
माता–पिता उन्हें “अंधेरी राह में दीपक” कहते हैं।
तीन दशकों का जन-जागरूकता और राष्ट्र सेवा का सफर
पिछले तीस वर्षों से राजीव भट्ट पूरे देश में—
• पठन-दोष (डिस्लेक्सिया),
• ध्यान-अभाव सक्रियता विकार,
• ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम,
• तथा अन्य सीखने की विविधताओं
के प्रति जनता और शिक्षकों में संवेदनशीलता तथा जागरूकता बढ़ाने में अग्रदूत रहे हैं।

1990 के दशक में, जब समाज में भ्रांतियाँ अधिक और जानकारी कम थी, उन्होंने विज्ञान, सहानुभूति और धैर्य को आधार बनाकर बदलाव की मशाल जलाई।

एक भारत–समावेशी भारत अभियान के तहत उन्होंने—
• संवेदनशीलता कार्यशालाएँ,
• जन-जागरूकता शिविर,
• माता–पिता परामर्श,
• शिक्षक प्रशिक्षण,
• और सामुदायिक सशक्तिकरण
जैसी अनेक पहलें पूरे देश में चलाई
दो महत्वपूर्ण पुस्तकों के लेखक — ऑटिज़्म को समझना और पठन-दोष को समझना
राजीव भट्ट ने अपने गहन अध्ययन और अनुभव को दो महत्वपूर्ण पुस्तकों के रूप में प्रस्तुत किया है, जिन्हें पहले अंग्रेज़ी में जाना जाता था, पर अब उनके अर्थ पूर्णतः हिंदी में इस प्रकार हैं—

  1. ऑटिज़्म को समझना
    यह पुस्तक—
    • ऑटिज़्म के प्रारम्भिक संकेत,
    • व्यवहारगत विशेषताएँ,
    • संवेदी (सेंसरी) आवश्यकताएँ,
    • सीखने की शैली,
    • तथा परिवारों की वास्तविक चुनौतियाँ
    को अत्यंत सरल, वैज्ञानिक और संवेदनशील भाषा में समझाती है।
    • यह समाज को बताती है कि ऑटिज़्म किसी बच्चे की कमी नहीं,
  2. बल्कि मानव विविधता का विशिष्ट रूप है।
  3. पठन-दोष को समझना
    यह पुस्तक पठन-दोष (डिस्लेक्सिया) से जुड़ी मिथकों को तोड़ते हुए स्पष्ट करती है कि यह केवल पढ़ने में कठिनाई नहीं, बल्कि एक अलग और अनोखी सीखने की शैली है।
    पुस्तक में—
    • कक्षा में अपनाई जाने योग्य शिक्षण विधियाँ,
    • व्यक्तिगत शिक्षा योजना (IEP) का संपूर्ण प्रारूप,
    • व्यावहारिक अभ्यास,
    • और माता–पिता व शिक्षकों के लिए मार्गदर्शन
    बहुत स्पष्ट और उपयोगी रूप में प्रस्तुत है।
    दोनों पुस्तकों में सह-लेखकों का योगदान इन्हें और भी प्रामाणिक तथा प्रभावशाली बनाता है|
    ‘अध्ययन समावेशी शिक्षण केंद्र’ — भारत का आदर्श प्रारूप
    राजीव भट्ट द्वारा स्थापित अध्ययन समावेशी शिक्षण केंद्र आज भारत में व्यक्तिगत शिक्षा योजना आधारित शिक्षा का उत्कृष्ट और आदर्श प्रारूप माना जाता है।
    यहाँ—
  4. शिक्षा बच्चों की गति और क्षमता के अनुसार ढलती है,
    • आत्मविश्वास व भावनात्मक विकास को प्राथमिकता दी जाती है,
    • और हर बच्चे की विशिष्टता का सम्मान किया जाता है।
    इस केंद्र ने बच्चों व युवाओं को—
    • पाक-कला,
    • आतिथ्य सेवा,
    • डिजिटल अभिकल्पना,
    • संगीत,
    • खेल,
    • चित्रकला,
    • ग्राहक सेवा
    आदि क्षेत्रों में प्रशिक्षण देकर रोजगार और आत्मनिर्भरता का मार्ग प्रशस्त किया है।
    राजीव भट्ट का प्रेरक वाक्य—
    “भाग्य दिव्यांगता नहीं तय करती, अवसर तय करते हैं।”
    परिवारों के लिए ‘आसरा’, बच्चों के लिए ‘राजीव सर’
    देशभर के माता–पिता उन्हें संकट में सहारा,
    शिक्षक उन्हें अग्रदूत,
    और बच्चे उन्हें स्नेह से “राजीव सर” कहते हैं।
    उनका संदेश—
    “हर बच्चा सम्मान, अवसर और भय-रहित भविष्य का अधिकारी है।”
    राष्ट्रीय पुरस्कार—सेवा, समर्पण और परिवर्तन की पहचान
    दिव्यांग व्यक्तियों के सशक्तिकरण हेतु सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति राष्ट्रीय पुरस्कार 2025
    सिर्फ एक सम्मान नहीं—
    बल्कि उस सामाजिक परिवर्तन की स्वीकृति है जिसे राजीव भट्ट ने अपनी करुणा, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और अथक सेवा से जन्म दिया।
    उनकी असली विरासत—
    बदले हुए जीवन, सशक्त परिवार और समावेशी भारत की ओर बढ़ता समाज है।

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