
IndiGo Crisis : दिल्ली उच्च न्यायालय ने इंडिगो से जुड़े संकट मामले में संज्ञान ले लिया है। चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय की अध्यक्षता वाली बेंच ने इंडिगो पर केंद्र सरकार और इंडिगो काे जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। उच्च न्यायालय ने कहा कि फ्लाइट ड्यूटी लिमिटेशन का पालन सुनिश्चित करने के लिए इंडिगो को पर्याप्त संख्या में पायलटों की नियुक्ति करनी चाहिए थी। लेकिन ऐसा लगता है कि इंडिगो ने समय रहते आवश्यक संख्या में पायलटों की नियुक्ति नहीं की, जिससे फ्लाइट ड्यूटी लिमिटेशन का अनुपालन सुनिश्चित हो सके।
दिल्ली हाई कोर्ट ने इंडिगो फ्लाइट संकट से प्रभावित यात्रियों के मामले में केंद्र सरकार से पूछा है कि ऐसी स्थिति क्यों बनी और इसके लिए जिम्मेदार कौन है। कोर्ट ने इस मुद्दे के साथ-साथ अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को भी ध्यान में रखते हुए सरकार से मुआवजा देने के कदमों की जानकारी मांगी।
इंडिगो पर हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा सवाल
- हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि इस स्थिति का कारण क्या है और जिम्मेदारी किसकी है। कोर्ट ने कहा कि यह समस्या न केवल यात्रियों की बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी गंभीर है।
- सरकार की तरफ से एएसजी चेतन शर्मा ने बताया कि किराए पर कैपिंग की गई है और इसे सख्ती से लागू किया गया है।
टिकट की कीमत में वृद्धि का मामला
हाई कोर्ट ने कहा, “5 हजार की टिकट 35,000 की कैसे हो गई?” और पूछा कि यदि कोई आपात स्थिति थी तो दूसरी एयरलाइंस को इसका फायदा उठाने की अनुमति क्यों दी गई।
एएसजी चेतन शर्मा ने कोर्ट को बताया कि सरकार ने नियमों का उल्लंघन करने वाली एयरलाइंस को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। उन्होंने यह भी कहा कि एक नवंबर तक एयरलाइन को समय दिया गया था, लेकिन कोई कदम नहीं उठाए गए।
कोर्ट ने कहा कि इन व्यवधानों के कारण यात्री विमान में चढ़ने से वंचित हैं और हवाई अड्डों पर फंसे हुए हैं। साथ ही, कहा कि एयरलाइन का स्टाफ यात्रियों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहा है, जो समाज के मानदंडों के अनुरूप नहीं है।
कोर्ट ने कहा कि याचिका में पर्याप्त शोध और साक्ष्य का अभाव है, लेकिन जनहित को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे का संज्ञान लिया गया है।
कोर्ट ने बताया कि उड़ान ड्यूटी समय सीमा (एफडीटीएल) 2024 से लागू होनी थी, और 2025 में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाना था। हालांकि, एयरलाइंस का पालन न कर पाने के कारण व्यवधान हुआ।
डीजीसीए की समिति ने पाया कि परिचालन तैयारियों में कमियां थीं, जिनकी जांच आवश्यक है। डीजीसीए को छह दिसंबर को इंडिगो को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया।
कोर्ट ने चिंता जताई कि लाखों यात्री हवाई अड्डों पर फंसे हैं, जिससे न केवल यात्रियों को परेशानी हो रही है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था भी प्रभावित हो रही है।
कोर्ट ने कहा कि उड़ान रद्द होने के कारण यात्रियों को मुआवजा देना जरूरी है। इंडिगो को निर्देश दिया गया है कि मुआवजे का भुगतान जल्द से जल्द सुनिश्चित करे।
संसद ने विमानों से संबंधित विभिन्न पहलुओं को नियंत्रित करने के लिए भारतीय वायुयान अधिनियम, 2024 पारित किया है। इसमें डीजीसीए को निर्देश देने का प्रावधान है कि वह आवश्यक कदम उठाए।
अखिल राणा और उत्कर्ष शर्मा की याचिका पर सवाल खड़ा करते हुए कोर्ट ने कहा कि आधी-अधूरी तैयारी के साथ याचिका दायर हुई है, लेकिन हम जनहित को देखते हुए इस मामले पर संज्ञान ले रहे हैं। याचिका ने दायर किया है। उच्चतम न्यायालयने 8 दिसंबर को इस याचिका पर तत्काल सुनवाई करने से इनकार कर दिया था। बुधवार काे एक वकील ने इस मामले को चीफ जस्टिस सूर्यकांत के समक्ष मेंशन करते हुए इस मामले पर जल्द सुनवाई की मांग की थी।
चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने कहा था कि भारत सरकार ने पहले ही इस मामले का संज्ञान ले लिया है। समय पर कार्रवाई की गई है। सरकार को संभालने दीजिए। इस मामले में तत्काल सुनवाई की जरूरत नहीं है। उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा कि क्या आप इतने असहाय हैं कि एयरलाइंस के खिलाफ कार्रवाई करने से हिचक रहे हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसे हालात बनने ही क्यों दिए गए, जिसमें लाखों यात्री एयरपोर्ट पर बिना सहायता के फंसे रहे।
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