चुनाव आयोग पर राहुल गांधी ने मोदी सरकार से पूछे थे ये तीन सवाल, कहा- ‘चोरी सबसे बड़ा राष्ट्र विरोधी कृत्य’

Rahul Gamdhi on EC : कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मंगलवार को संसद में चुनाव आयोग से जुड़ी कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए और चुनावी व्यवस्था में सुधार की दिशा में अपनी बात रखी। उन्होंने विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर बहस के दौरान केंद्र सरकार और चुनाव आयोग के कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए, साथ ही कई मांगें भी प्रस्तुत कीं।

सत्र के दौरान राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के प्रयत्नों में लगी हुई है। उन्होंने कहा कि वोट चोरी सबसे बड़ा राष्ट्र विरोधी कृत्य है और सत्तापक्ष इस काम में शामिल है।

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर उठाएं तीन सवाल

राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए पूछा कि चुनाव आयोग के अध्यक्ष और अन्य चुनाव आयुक्तों का चयन करने वाले पैनल पर तीन सवाल उठाया।

राहुल गांधी ने पूछा- सीजेआई को क्यों हटाया?

राहुल गांधी ने पूछा कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए जो समिति बनाई गई थी, उसमें से मुख्य न्यायाधीश (CJI) को क्यों हटा दिया गया? उन्होंने इस कदम के पीछे मंशा को लेकर संदेह व्यक्त किया और पूछा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री अमित शाह चुनाव आयुक्तों के चयन में इतनी रुचि क्यों ले रहे हैं।

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग के चयन और इम्युनिटी कानून पर किया सवाल

राहुल गांधी ने यह भी पूछा कि क्यों दिसंबर 2023 में कानून में बदलाव कर चुनाव आयुक्तों को इम्युनिटी दी गई। उनका तर्क था कि इससे चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता पर सवाल खड़ा होता है।

राहुल गांधी ने पूछा- चुनाव आयोग को सीसीटीवी फुटेज नष्ट करने की अनुमति क्यों दी गई?

राहुल गांधी ने तीसरा सवाल उठाया कि क्यों चुनाव आयोग को चुनाव के 45 दिनों के बाद सीसीटीवी फुटेज नष्ट करने की अनुमति दी गई है। उन्होंने पूछा कि इस कानून को बनाने की क्या जरूरत थी, और क्यों इसकी धाराओं में बदलाव किया गया।

राहुल गांधी की चार प्रमुख मांगें

संसद में बोलते हुए राहुल गांधी ने मोदी सरकार से चार प्रमुख मांगें भी कीं…

  1. चुनाव से एक माह पहले सभी दलों को मशीन-पठनीय मतदाता सूची दी जाए।
  2. सीसीटीवी फुटेज को नष्ट करने की अनुमति देने वाले कानून को वापस लिया जाए।
  3. ईवीएम की संरचना और उसकी कार्यप्रणाली का खुलासा किया जाए। ईवीएम तक पहुंच प्रदान की जाए ताकि विशेषज्ञ उसकी जांच कर सकें। अभी तक यह जानकारी सार्वजनिक नहीं है।
  4. कानून में बदलाव किया जाए, ताकि चुनाव आयुक्त को कोई भी निर्णय लेने का अधिकार हो, और उन्हें स्वतंत्रता से काम करने का विकल्प मिले।

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