रेप के बाद शादी की तस्वीरों में खुश दिखी पीड़िता तो कोर्ट ने आरोपी को कर दिया बरी

चंडीगढ़, पंजाब। चंडीगढ़ की जिला अदालत ने अपहरण और रेप के आरोपों का सामना कर रहे एक व्यक्ति को बरी कर दिया है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि कथित पीड़िता शादी के रिसेप्शन की तस्वीरों में “बेहद खुश” नजर आ रही थी, जहां करीब 200 लोग मौजूद थे।

अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश डॉ. यशिका की अदालत ने माना कि अभियोजन पक्ष यह साबित करने में विफल रहा कि घटना के समय लड़की नाबालिग थी या फिर उस पर जबरदस्ती का कोई संकेत मौजूद था।

हाई कोर्ट का फैसला सुनवाई के दौरान पेश की गई एक शादी की रिसेप्शन तस्वीर पर आधारित है, जिसने पूरी गुत्थी को उलट-पलट कर रख दिया है। इस तस्वीर में, पीड़िता, जो अब शादीशुदा है, दुल्हन के लिबास में मुस्कुरा रही थी और ‘बहुत खुश’ नजर आ रही थी। जस्टिस लिसा गिल की एकलपीठ ने इस फोटो का गहन विश्लेषण किया और कहा, “फोटो में पीड़िता की खुशी स्पष्ट रूप से दिखाई दे रही है, जो जबरदस्ती या डर की स्थिति से मेल नहीं खाती।”

मामला 2022 का है। आरोपी युवक पर 18 साल की नाबालिग लड़की के साथ रेप और अपहरण का आरोप था। पीड़िता के परिवार ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि आरोपी ने लड़की को बहला-फुसलाकर अपहरण किया और शारीरिक शोषण किया। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर मामला सेशन कोर्ट में पहुंचाया, जिसने आरोपी को दोषी ठहराते हुए सजा सुनाई।

हालांकि, आरोपी ने हाई कोर्ट में अपील की। सुनवाई के दौरान, बचाव पक्ष ने एक अहम सबूत पेश किया – पीड़िता और आरोपी की शादी के रिसेप्शन की फोटो। यह फोटो 2023 में खींची गई थी, जब दोनों ने कोर्ट के आदेश पर शादी कर ली थी। इस तस्वीर में पीड़िता, जो अब शादीशुदा है, एक खुशहाल दुल्हन की तरह मुस्कुरा रही थी।

कोर्ट ने कहा, “पीड़िता की शादी के बाद की खुशी और सामाजिक स्वीकृति से यह प्रतीत होता है कि दोनों के बीच आपसी सहमति थी।” साथ ही, अदालत ने यह भी पाया कि अभियोजन पक्ष ने नाबालिगता साबित करने के लिए कोई दस्तावेज पेश नहीं किए, जैसे जन्म प्रमाण पत्र। दोनों के दो साल तक साथ रहने और उसके बाद शादी करने के तथ्यों ने भी सहमति का संकेत दिया।

जस्टिस गिल ने अपने फैसले में कहा, “फोटो में दिख रही पीड़िता की खुशी और शादी के बाद से उसकी सामाजिक स्वीकार्यता से यह प्रतीत होता है कि यह रिश्ता स्वीकृत था। अतः, रेप का आरोप साबित नहीं होता।” इस आधार पर, अदालत ने सेशन कोर्ट का दोषसिद्धि का फैसला पलट दिया और आरोपी को तुरंत रिहा करने का आदेश दिया।

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