
Pilibhit : ऑनलाइन गेमिंग और फर्जी कॉल सेंटर के जरिए जालसाजी करने वाले गिरोह का पुलिस ने भंडाफोड़ किया है। गुलरिहा पुलिस ने शनिवार को गिरोह के सरगना राकेश प्रजापति और उसके सहयोगी जान आलम को मदेरहवा से गिरफ्तार किया। दोनों आरोपी पीलीभीत के साइबर जालसाजों से जुड़े थे और करोड़ों रुपये की धोखाधड़ी में शामिल थे। उनके कॉल सेंटर से 6 लैपटॉप, 6 मोबाइल फोन, 4 हेडफोन, 4 चार्जर और माउस बरामद हुए हैं।
मामले में पुलिस ने राकेश प्रजापति, जान आलम, बैंककर्मी कमलेश और सुजीत दुबे के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। गिरफ्तार आरोपियों को सोमवार को कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया। वहीं, बैंककर्मी कमलेश और सुजीत दुबे समेत अन्य भागे आरोपियों की तलाश जारी है।
गिरोह का गठन और कॉल सेंटर का खेल
गुलरिहा के नारायणपुर नंबर 2 टोला हीरागंज निवासी राकेश प्रजापति 35 एमबीए करने के बाद प्राइवेट नौकरी करता था। इसी दौरान उसकी मुलाकात बैंक रोड पर ऑफिस चलाने वाले विक्की पंडित से हुई, जिसने उसे साइबर जालसाजी के गुर सिखाए। दोनों अलग होने के बाद राकेश ने खुद का गिरोह तैयार किया।
उसने भटहट चिलबिलवां निवासी जान आलम, गाजीपुर के कमलेश और सुजीत दुबे को साथ जोड़कर शाहपुर के खजांची स्थित इंड्रा अस्पताल के बेसमेंट में “कौशल्या इन्वेस्टमेंट” नाम से कॉल सेंटर खोल लिया। यहां फेयर प्ले ऑनलाइन गेमिंग एप के जरिए सट्टेबाजी कर लोगों से मोटी रकम हड़पनी शुरू कर दी।
रुपयों के लेन-देन के लिए राकेश को बैंक खातों की जरूरत थी। उसने बैंककर्मी कमलेश की मदद से गुलरिहा क्षेत्र के आईडीएफसी बैंक में गरीब और अनपढ़ लोगों के नाम पर म्यूल खाते खुलवाए। विवेचना में सामने आया कि प्रत्येक खाते में साइबर जालसाजी के 10 से 15 लाख रुपये रोजाना आते थे। अब तक 6 म्यूल खातों का संचालन उजागर हुआ है।
पीलीभीत पुलिस की कार्रवाई
मामला तब प्रकाश में आया जब 4 दिसंबर को पीलीभीत पुलिस ने ऑनलाइन गेमिंग के जरिए जालसाजी करने वाले गिरोह को पकड़ लिया। पकड़े गए विक्की पंडित ने बताया कि वह पहले गोरखपुर में राकेश के साथ कॉल सेंटर चलाता था। इसके बाद गुलरिहा पुलिस सक्रिय हुई और गोरखपुर में भी ऑनलाइन गेमिंग और फर्जी कॉल सेंटर पर कार्रवाई की गई।
एक म्यूल खाते ने खोली ठगी की परतें
अपराध उजागर होने का मुख्य रास्ता तब मिला जब राकेश के गांव का निवासी विजय चौहान पुलिस के पास तहरीर लेकर पहुंचा। उसने बताया कि राकेश ने आधार कार्ड के जरिए उसका बैंक खाता खुलवाया और कहा कि महीने में दो हजार रुपये उसे मिलेंगे। लेकिन एक रात उसके मोबाइल पर अचानक 20 हजार और 10 हजार रुपये जमा होने के मैसेज आने लगे।
संदेह होने पर विजय अगले दिन बैंक पहुंचा, जहां आरोप है कि कर्मचारी कमलेश ने राकेश को बुलाकर उसे धमकाया और चुप रहने को कहा। विजय की तहरीर ने पुलिस को कॉल सेंटर और पूरे जालसाजी नेटवर्क का खुलासा करने का मार्ग दिखा दिया।
जांच और दबिशें जारी
पुलिस कॉल डिटेल, बैंक ट्रांजेक्शन और सभी डिजिटल साक्ष्यों की जांच कर रही है। भागे आरोपियों की तलाश में दबिश दी जा रही है, और इस नेटवर्क से जुड़े अन्य लोगों की जानकारी जुटाई जा रही है।











