सर्दी आते ही यूपी की सभी रामसर साइट्स प्रवासी पक्षियों से गुलजार

  • उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड रामसर साइट्स पर
  • विकसित कर रहा पर्यटक सुविधाएं : जयवीर सिंह

Lucknow : उत्तर प्रदेश की प्राकृतिक संपदा इस वर्ष भी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। दिसंबर की शुरुआत के साथ ही प्रदेश के सभी 10 अंतरराष्ट्रीय महत्व वाले रामसर साइट्स प्रवासी पक्षियों की चहचहाहट से गुलजार हो उठे हैं। प्रतिवर्ष हजारों किलोमीटर दूर से आने वाले इन दुर्लभ पक्षियों के लिए सुरक्षित और अनुकूल आश्रय स्थली पर्यटकों के लिए भी पूरी तरह तैयार है।

उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड लगातार पर्यटक सुविधाओं के उन्नयन, संरक्षण कार्यों और सतत पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में प्रभावी कदम उठा रहा है, जिससे प्रदेश की समृद्ध जैव-विविधता नए आयाम प्राप्त कर रही है।
पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड प्राकृतिक धरोहरों के संरक्षण और विकास के लिए लगातार कार्य कर रहा है, ताकि पर्यटकों को बेहतर और सुरक्षित अनुभव मिल सके। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने के प्रयास भी निरंतर जारी हैं। विकास परियोजनाओं के माध्यम से अभी तक आगरा और हैदरपुर की दो परियोजनाएं सफलतापूर्वक पूरी की जा चुकी हैं।

मंत्री ने बताया कि आगरा स्थित सूर सरोवर बर्ड सेंक्चुरी में 167.85 लाख रुपए की लागत से पर्यटक सुविधाओं का विकास किया गया है, जिससे यह स्थल प्रकृति प्रेमियों और बर्ड वॉचर्स के लिए और भी आकर्षक बन गया है। सेंक्चुरी में पार्किंग एरिया, पाथवे एवं नेचर ट्रेल, सोविनियर शॉप, वॉच टावर, साइनजेज, शौचालय, आरओ वॉटर कूलर जैसी सुविधाओं को विकसित किया गया है, ताकि आगंतुकों को समृद्ध पर्यटन अनुभव मिल सके।

इसी प्रकार, मुजफ़्फ़रनगर स्थित हैदरपुर वेटलैंड में 165.71 लाख रुपए की लागत से पर्यटक सुविधाओं का व्यापक संवर्धन किया गया है, जिससे यहां आने वाले आगंतुकों को बेहतर अनुभव प्राप्त हो रहा है। यहां प्रवेश द्वार, नेचर ट्रेल, नेचर कैंप, आरामदायक बेंचेज, साइनेजेज, ऊंचाई से दृश्य अवलोकन के लिए वॉच टावर साथ ही कैंटीन, रिसेप्शन, गोल हट, आरओ वाटर कूलर आदि सुविधाओं का विकास किया गया है। इन व्यवस्थाओं से हैदरपुर वेटलैंड अब अधिक सुव्यवस्थित, पर्यटक अनुकूल और ईको-टूरिज़्म की दृष्टि से और भी आकर्षक गंतव्य बन गया है।

उन्नाव स्थित नवाबगंज बर्ड सेंक्चुरी में पर्यटकों के अनुभव को नई ऊंचाई देने के लिए आधुनिक तकनीक से लैस एआर-वीआर डोम का निर्माण तेजी से आगे बढ़ रहा है। लगभग 280.44 लाख रुपए की लागत से विकसित किया जा रहा यह अत्याधुनिक डोम आगंतुकों को पक्षी अभ्यारण्य की समृद्ध जैव-विविधता, प्रवासी पक्षियों की प्रजातियों और पूरे वेटलैंड इकोसिस्टम को इमर्सिव तरीके से अनुभव कराने में सक्षम होगा।

उत्तर प्रदेश अपनी समृद्ध जैव-विविधता के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना रहा है ,यहां कुल 10 रामसर साइट्स हैं-नवाबगंज पक्षी अभ्यारण्य (उन्नाव), पार्वती आर्गा पक्षी अभ्यारण्य (गोंडा), समान पक्षी अभ्यारण्य (मैनपुरी), समसपुर पक्षी अभ्यारण्य (रायबरेली), सांडी पक्षी अभ्यारण्य (हरदोई), सरसई नावर झील (इटावा), सूर सरोवर पक्षी विहार (आगरा), ऊपरी गंगा नदी (ब्रजघाट से नरौरा विस्तार), बखिरा वन्यजीव अभ्यारण्य (संत कबीर नगर) और हैदरपुर वेटलैंड (मुजफ्फरनगर), प्रकृति प्रेमियों और पर्यटकों को आकर्षित कर रही हैं। प्रवासी पक्षियों की दुर्लभ प्रजातियों का अनोखा बसेरा इन स्थलों को वैश्विक संरक्षण मानकों पर प्रतिष्ठित बनाता है। राज्य सरकार द्वारा इन आद्रभूमियों के संरक्षण, सुविधाओं के विकास तथा ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के सतत प्रयासों से पर्यटकों को प्रकृति से जुड़ने का उत्कृष्ट अवसर मिल रहा है।

देश में सबसे अधिक रामसर साइट्स तमिलनाडु में हैं। उत्तर प्रदेश दूसरे स्थान पर है। यहां की आद्रभूमियां जैव विविधता को संरक्षित रखने, पर्यावरणीय संतुलन बनाए रखने और दुर्लभ प्रजातियों के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण इन स्थलों को ‘रामसर साइट’ का दर्जा मिलने से इनके संरक्षण की दिशा में और भी मजबूती मिली है।

पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि जैव-विविधता से समृद्ध और आद्रभूमियों के कारण उत्तर प्रदेश आज वैश्विक मानचित्र पर एक महत्वपूर्ण ईको टूरिज्म गंतव्य के रूप में स्थापित हो रहा है। यहां स्थानीय के साथ अन्य देशों से आने वाली प्रवासी पक्षियों का प्रवास प्राकृतिक सौंदर्य को और मनमोहक बनाता है, जो पर्यटकों को मंत्रमुग्ध करता है।

उत्तर प्रदेश ईको टूरिज्म विकास बोर्ड इन स्थलों पर अत्याधुनिक पर्यटक सुविधाओं का लगातार विस्तार कर रहा है, ताकि हर आगंतुक को यादगार अनुभव मिल सके। इन सतत प्रयासों से प्रदेश न केवल अपनी प्राकृतिक धरोहर को संरक्षित कर रहा है, बल्कि उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान भी दिला रहा है।

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