
Sonam Wangchuk Case : सुप्रीम कोर्ट में जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पेशी की मांग पर केंद्र सरकार ने कड़ा विरोध जताया है। वांगचुक इस समय जोधपुर जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत बंद हैं। इस मामले की सुनवाई अब 15 दिसंबर तक टाल दी गई है।
वांगचुक की पत्नी गीतेजलि जे. आंगमो ने याचिका में गिरफ्तारी को अवैध और मनमानी बताते हुए उसे रद्द करने की मांग की है। सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि वांगचुक जेल से ही ऑनलाइन अदालत से जुड़ना चाहते हैं। वहीं, केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आपत्ति जताते हुए कहा कि यदि अनुमति दी जाती है तो देशभर के बंदियों को भी यही सुविधा देनी होगी, जो संभव नहीं।
गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि
26 सितंबर को लद्दाख में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग के समर्थन में हुए प्रदर्शन हिंसक होने के बाद वांगचुक को NSA के तहत गिरफ्तार किया गया। इन घटनाओं में चार लोगों की मौत और 90 से अधिक घायल हुए थे। सरकार का दावा है कि वांगचुक ने माहौल भड़काया, जबकि परिवार इसे झूठा आरोप बता रहा है।
पत्नी की दलील
आंगमो ने कहा कि यह गिरफ्तारी पुराने मामलों और अस्पष्ट आरोपों के आधार पर की गई है, जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन और सत्ता का दुरुपयोग है। उन्होंने यह भी कहा कि वांगचुक तीन दशक से शिक्षा, नवाचार और पर्यावरण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देते रहे हैं — ऐसे व्यक्ति को देशविरोधी बताना अनुचित है।
हिंसा के प्रति वांगचुक का रुख
याचिका में बताया गया कि 24 सितंबर की हिंसा पर वांगचुक ने सोशल मीडिया पर दुख जताते हुए कहा था कि हिंसा से लद्दाख की वर्षों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा। उन्होंने इसे अपने जीवन का सबसे दुखद दिन बताया था।















