
MP: महिलाओं को लेकर दिए गए स्वामी रामभद्राचार्य के बयान पर अब द्वारिका पीठ, नरसिंहपुर के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती ने कड़ी नाराज़गी जताई है। करेली प्रवास के दौरान उन्होंने बिना किसी का नाम लिए कहा कि ऐसी टिप्पणियाँ न तो संत परंपरा के अनुरूप हैं और न भारतीय संस्कृति एवं शास्त्रों की मर्यादा के अनुकूल।
शंकराचार्य ने स्पष्ट कहा कि किसी संत की वाणी में महिलाओं के प्रति तिरस्कार का स्थान नहीं हो सकता। पत्नी के अर्थ पर दिए गए बयान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा—
“यदि शास्त्रों का ज्ञान होने के बाद भी ऐसी बातें कही गई हैं, तो यह शास्त्रों के सम्मान का नहीं, बल्कि उनकी उपेक्षा का संकेत है।”
उन्होंने भारतीय संस्कृति में नारी के उच्च स्थान पर जोर देते हुए वेदों और पुराणों का हवाला दिया और कहा—
“यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता — हमारी सनातन संस्कृति में नारी को देवी स्वरूप मानकर पूजने की परंपरा है। नारी केवल स्त्री नहीं, वह माँ, बहन, बेटी, दादी-नानी और जगत जननी है।”
शंकराचार्य ने यह भी कहा कि महिलाओं के प्रति अपमानजनक भाषा किसी ज्ञान का नहीं, बल्कि अज्ञान और अहंकार का प्रतीक है।
क्या कहा था स्वामी रामभद्राचार्य ने?
कुछ दिनों पहले एक धार्मिक प्रवचन के दौरान स्वामी रामभद्राचार्य ने ‘वाइफ’ शब्द का अर्थ “ब्यूटीफुल ऑब्जेक्ट फॉर एंजॉयमेंट” बताया था। उनका यह बयान सोशल मीडिया पर व्यापक आलोचना का कारण बना और कई सामाजिक व धार्मिक संगठनों ने आपत्ति जताई।
अब शंकराचार्य सदानंद सरस्वती ने भी इस बयान की सार्वजनिक रूप से निंदा करते हुए संत समाज को अपनी वाणी और मर्यादा पर अधिक ध्यान देने की सलाह दी है।










