
लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्थित नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान (चिड़ियाघर) में ईको-टूरिज़्म को बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विभाग ने 1.91 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की है। इसके तहत जू परिसर में कई विकासात्मक काम तेज़ी से किए जा रहे हैं। यह जानकारी शुक्रवार काे पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह ने दी।
उन्होंने बताया कि परियोजना का उद्देश्य जू को अधिक आकर्षक, पर्यावरण-संगत और बच्चों के लिए अनुकूल बनाना है। इसी क्रम में हाल ही में बच्चों के मनोरंजन के लिए आकर्षक झूले (किड्स प्ले इक्विपमेंट) लगाए गए हैं, जिससे यहां आने वाले परिवारों और स्कूली बच्चों के लिए अनुभव और अधिक मनोरंजक व रोचक हो गया है। ये झूले सुरक्षित, मॉडर्न डिज़ाइन और अंतरराष्ट्रीय मानकों को ध्यान में रखकर स्थापित किए गए हैं।
मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि, प्राणी उद्यान में प्राकृतिक माहौल को और खूबसूरत बनाने के लिए बांस का फर्नीचर सेट भी लगाया जा रहा है, जिसमें बैठने की व्यवस्था, गज़ेबो-स्टाइल सेटअप और ओपन रेस्टिंग पॉइंट शामिल हैं। इससे पार्क का हरित व ईको-फ्रेंडली लुक और बेहतर होगा। साथ ही परिसर में दिशा निर्देश देने के लिए साइनेज सिस्टम को आधुनिक रूप दिया जा रहा है।
नए नेविगेशन बोर्ड, सूचना पट्ट और सुरक्षा संकेत लगाए जाएंगे, ताकि आगंतुकों को घूमने में आसानी हो और जू की अलग-अलग विंग्स तक पहुंचना सरल बने। गर्मी में आने वाले पर्यटकों को राहत देने के लिए विभिन्न स्थानों पर आधुनिक वाटर कूलर भी लगाए जा रहे हैं। इससे पीने के पानी की उपलब्धता बढ़ेगी और परिवारों को बेहतर सुविधा मिलेगी।
पर्यटन मंत्री ने बताया कि “नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान लखनऊ शहर की पहचान है और इसे हम आधुनिक ईको-टूरिज़्म मॉडल के रूप में विकसित कर रहे हैं। प्रदेश सरकार का प्रयास है कि यहां आने वाले बच्चों, परिवारों और पर्यटकों को बेहतर, सुरक्षित और प्रकृति के करीब रहने वाला वातावरण मिले। 1.91 करोड़ रुपये की स्वीकृत परियोजना के माध्यम से आकर्षक झूले, बांस से बने फर्नीचर सेट, नए साइनेज और वाटर कूलर जैसी सुविधाएँ विकसित की जा रही हैं। हमारा लक्ष्य है कि लखनऊ जू को एक ऐसा हरित, पर्यावरण-संगत और विश्वस्तरीय गंतव्य बनाया जाए, जहां मनोरंजन के साथ-साथ प्रकृति और वन्यजीव संरक्षण का संदेश भी मजबूती से पहुँच सके।
उल्लेखनीय है कि नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान, जिसे आमतौर पर लखनऊ जू के नाम से जाना जाता है, वर्ष 1921 में स्थापित किया गया था।यह उत्तर भारत के सबसे पुराने और लोकप्रिय प्राणी उद्यानों में से एक है।










