हरिद्वार अर्धकुंभ विवाद : रामगोपाल यादव ने CM धामी से कहा – संतों के साथ भेदभाव न हो, मामले पर पुनर्विचार करें

हरिद्वार : हरिद्वार में श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा ने महामंडलेश्वर स्वामी यतींद्रानंद गिरी और स्वामी प्रबोधानंद गिरी को तत्काल प्रभाव से अखाड़े से बाहर कर दिया है। यह कदम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ हुई बैठक और सरकार के खिलाफ दोनों संतों की बयानबाजी के बाद उठाया गया।

अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष महंत मोहन भारती महाराज ने कहा कि अखाड़ा व्यवस्था संत परंपरा, मर्यादा और सामाजिक आचरण के उच्च आदर्शों पर आधारित है, और इन मूल्यों के विपरीत जाने वाले किसी भी व्यक्ति को पद या संरक्षण नहीं मिलेगा। उन्होंने बताया कि अन्य संतों की भूमिका की भी जांच की जा रही है और प्रमाण मिलने पर उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जा सकती है।

अखाड़ा ने कहा कि दोनों संतों ने सरकार और प्रशासन के विरोध में अनर्गल और अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया, जो सनातन धर्म के लिए हानिकारक है। स्वामी प्रबोधानंद गिरी के खिलाफ पहले भी कई शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं, जिनमें हत्या का मामला भी शामिल है। वहीं, स्वामी यतींद्रानंद गिरी 2009 में लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं।

पूर्व में भी स्वामी रूपेंद्र प्रकाश और स्वामी प्रबोधानंद गिरी ने अर्धकुंभ की परंपराओं और अखाड़ा परिषद के अस्तित्व पर सवाल उठाए थे। 13 जनवरी 2027 से हरिद्वार में शुरू होने वाले अर्धकुंभ मेले में 4 प्रमुख अमृत स्नान होंगे, और यह 97 दिन तक चलेगा।

धार्मिक जगत में बढ़ते विवाद और राजनीतिक हस्तक्षेप के बीच समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने मुख्यमंत्री धामी से अनुरोध किया है कि वे इस मामले पर पुनर्विचार करें और महामंडलेश्वरों के साथ किसी भी तरह का भेदभाव न किया जाए। उन्होंने कहा, “धार्मिक परंपराओं से खिलवाड़ चिंताजनक है, सरकार संत समाज की बात सुने।”

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें