‘बहुत लेडीज कुत्ते के साथ सोती हैं..’, भाजपा विधायक ने बोली ऐसी बात भड़क गई RJD, कहा- ये महिलाओं का अपमान

नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र का पहला दिन काफी हंगामेदार रहा, जब राजनीति के गलियारों में एक नए विवाद ने जन्म लिया। इस दिन कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी का एक कुत्ते के साथ संसद परिसर में पहुंचने का मामला सुर्खियों में आ गया। इस घटना को लेकर विपक्ष और सत्तापक्ष के बीच तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली।

वहीं, इस विवाद के बीच भाजपा की वरिष्ठ नेता और सांसद जगदंबिका पाल ने इस मामले को लेकर विवादित बयान दिया, जो चर्चा का विषय बन गया। उन्होंने कहा, “बहुत लेडिज कुत्ते के साथ सोती हैं।” इस बयान ने पूरे राजनीतिक माहौल को गरम कर दिया।

क्या था पूरा मामला?

दरअसल, जब रेणुका चौधरी संसद परिसर में पहुंचीं, तो वह अपने साथ एक कुत्ते को लेकर आई थीं। बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल ने इस घटना को लेकर तीखा बयान देते हुए कहा कि यह संसद की गरिमा का उल्लंघन है और इसमें कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि यह व्यवहार संसद की मर्यादा का अपमान है और इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

रेणुका चौधरी ने क्या कहा?

कांग्रेस सांसद रेणुका चौधरी ने इस पूरे विवाद पर सफाई दी। उन्होंने कहा, “मेरा कुत्ता किसी को काटता नहीं है। मैं रास्ते में एक सड़क हादसे में घायल हो रहे कुत्ते को देखकर उसे उठाकर कार में लिया और संसद में लाकर वापस भेज दिया। क्या इसमें कोई गलत बात है? मैंने इसे घर भेज दिया है। यह कोई कानून का उल्लंघन नहीं है। मैं जानवरों का सम्मान करती हूं और उन्हें प्यार करती हूं। यह मुद्दा इतना बड़ा क्यों बना दिया गया है?”

उन्होंने आगे कहा, “यह तो उन लोगों का काम है जो संसद में बैठकर हमें रोज़ काटते हैं। हम तो बेजुबान जानवरों की देखभाल कर रहे हैं। यह मामला गंभीर नहीं है, बल्कि उन लोगों का ध्यान भटकाने का प्रयास है।”

इस घटना पर विपक्ष और विपक्षी दलों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। विपक्ष ने इसे महिलाओं का अपमान और संसद की गरिमा का उल्लंघन बताया है। वहीं, सोशल मीडिया पर भी इस घटना को लेकर बहस छिड़ गई है।

रजनीति के इस विवाद को लेकर भाजपा और अन्य विपक्षी दलों में तीखी नोकझोंक हो रही है। विपक्ष का कहना है कि सरकार और सांसदों की भाषा और व्यवहार लोकतंत्र की मर्यादा के अनुरूप नहीं हैं।

वहीं, इस पूरे मामले में कई लोग इसे मामूली घटना मान रहे हैं, जबकि कुछ इसे संसद की गरिमा के लिए खतरा बता रहे हैं। अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक कार्रवाई नहीं हुई है, लेकिन इस पर संसद में चर्चा हो सकती है।

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