
चंडीगढ़ : पंजाब के पूर्व मंत्री और शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के वरिष्ठ नेता बिक्रम सिंह मजीठिया को गुरुवार को बड़ा कानूनी झटका लगा। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने आय से अधिक संपत्ति मामले में दायर उनकी जमानत याचिका रद्द कर दी है। इसके चलते अब मजीठिया को नाभा जेल में ही रहना होगा।
हाईकोर्ट के फैसले के बाद अब मजीठिया को जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ेगा। उल्लेखनीय है कि हाल ही में विजिलेंस ब्यूरो ने उनके करीबी सहयोगी हरप्रीत सिंह गुलाटी को गिरफ्तार किया था। जांच में सामने आया कि शराब कंपनियों — आकाश स्प्रीति, यूवी एंटरप्राइज और एडी एंटरप्राइजिज — के जरिए गुलाटी और मजीठिया के बीच वित्तीय लेनदेन हुआ। आरोप है कि इन्हीं माध्यमों से मजीठिया ने शिमला और दिल्ली में संपत्तियाँ भी अर्जित कीं।
इस बीच, सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए अलग सेल की मांग पर अदालत ने मजीठिया की अर्जी खारिज कर दी। हालांकि, उन्हें आंशिक राहत देते हुए अदालत ने सप्ताह में दो बार जेल परिसर में मौजूद एक अलग कमरे में परिवार व वकीलों से मिलने की अनुमति बरकरार रखी है। यह सुविधा अधिकतम 10 स्वीकृत व्यक्तियों तक सीमित रहेगी।
उनके वकील अर्शदीप सिंह कलेर ने अदालत में तर्क दिया कि मजीठिया को आपराधिक गिरोहों और राष्ट्र-विरोधी तत्वों से खतरा है, जिस पर न्यायालय ने राज्य सरकार और जेल प्रशासन को सुरक्षा कड़ी करने के निर्देश दिए हैं।










