
New Delhi : दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने लैंड फॉर जॉब मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की ओर से दर्ज एफआईआर के मामले में आरोपितों के खिलाफ आरोप तय करने के मामले पर फिर फैसला टाल दिया है। स्पेशल जज विशाल गोगने ने 8 दिसंबर को फैसला सुनाने का आदेश दिया।
इसके पहले 10 नवंबर को भी कोर्ट फैसला टाल चुका है। कोर्ट ने सीबीआई के मामले में आरोप तय करने पर 25 अगस्त को फैसला सुरक्षित रख लिया था। गुरुवार काे सुनवाई के दौरान लालू यादव, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव पेश नहीं हुए। तीनों की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह ने तीनों की आज कोर्ट में पेशी से छूट की मांग की जिसे कोर्ट ने मंजूर कर लिया।
लालू यादव ने इस मामले में सीबीआई की ओर से दर्ज एफआईआर को निरस्त करने और ट्रायल कोर्ट में चल रही कार्यवाही पर रोक की मांग के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। उच्च न्यायालय याचिका पर 25 सितंबर को सुनवाई करने वाला है।
लालू यादव की ओर से पेश वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि इस मामले में अभियोजन चलाने के लिए जरुरी अनुमति नहीं ली गई। ऐसे में पूरी जांच गैरकानूनी है। बिना जरुरी अनुमति के जांच शुरु नहीं की जा सकती है। सिब्बल ने कहा कि इस मामले में पूरी कार्यवाही ही गलत है।
सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से पेश वकील ने कहा कि लालू यादव की ओर से जानबूझकर ट्रायल कोर्ट में आरोप तय करने पर दलीलें नहीं रख रहे हैं। इस मामले में ट्रायल कोर्ट में 9 सितंबर को दलीलें खत्म हो जाएंगी। तब कोर्ट ने कहा कि जरुरी अनुमति की बात केवल भ्रष्टाचार निरोधक कानून के मामलों में होगी न कि भारतीय दंड संहिता से जुड़े मामलों में।
उच्चतम न्यायालय ने 18 जुलाई को ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। 7 अक्टूबर, 2022 को लैंड फॉर जॉब मामले में सीबीआई ने लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी और मीसा भारती समेत 16 आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल किया था।
ट्रायल कोर्ट ने 25 फरवरी को सीबीआई की ओर से दाखिल चार्जशीट पर संज्ञान लिया था। सीबीआई ने 7 जून, 2024 को इस मामले में अंतिम चार्जशीट दाखिल किया था जिसमें 78 लोगों को आरोपित बनाया गया है। इन 78 आरोपितों में से रेलवे में नौकरी पाने वाले 38 उम्मीदवार भी शामिल हैं।













