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तपोवन (धर्मशाला)। हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने बुधवार को सरकारी कर्मचारियों की भर्ती एवं सेवा शर्तों से जुड़े संशोधन विधेयक 2025 को विपक्ष के विरोध के बावजूद ध्वनिमत से पारित कर दिया। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया, जिसके बाद इस पर विस्तृत चर्चा हुई।

भाजपा विधायकों ने आरोप लगाया कि संशोधन कर्मचारियों और बेरोजगार युवाओं के हितों के विपरीत है। नयना देवी के विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि पूर्व प्रकाशन की शर्त हटाना गलत है और यह किसी विशेष व्यक्ति को लाभ पहुंचाने की मंशा से किया गया प्रतीत होता है। बिलासपुर के विधायक त्रिलोक जम्वाल ने इसे कर्मचारियों के अधिकारों पर प्रहार बताते हुए विधेयक को वापस लेने की मांग की।

सुक्खू बोले—नियुक्ति व पदोन्नति प्रक्रिया तेज होगी
विरोध का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री सुक्खू ने कहा कि पहले भी इस तरह की कोई पूर्व प्रकाशन प्रक्रिया आवश्यक नहीं थी। संशोधन से नियुक्ति और पदोन्नति संबंधी प्रक्रियाओं के निपटारे में तेजी आएगी।

श्रम कानूनों में भी संशोधन प्रस्ताव पास

सदन ने दुकानों व वाणिज्यिक प्रतिष्ठानों से जुड़े विधेयक को भी ध्वनिमत से पारित किया।

प्रमुख प्रावधान:

  • 10 से कम कर्मचारियों वाले प्रतिष्ठानों को अब श्रम विभाग में पंजीकरण से छूट
  • ओवरटाइम सीमा बढ़ाई गई — तीन महीने में
    • पहले: 50 घंटे
    • अब: 144 घंटे
  • ओवरटाइम पर दोगुना मानदेय देना अनिवार्य

विपक्ष ने इस पंजीकरण में की गई छूट का विरोध किया। भाजपा विधायकों का कहना था कि सीमावर्ती क्षेत्रों में बिना पंजीकरण के कारोबार की निगरानी कठिन होगी।

जवाब में उद्योग, श्रम और रोजगार मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि नया प्रावधान कर्मचारियों को अधिक लाभ और सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।

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