इंडिगो एयरलाइन में परिचालन संकट : क्रू की कमी और नए DGCA नियमों से 150 उड़ानें रद्द, यात्रियों की बढ़ी परेशानी

नई दिल्ली : देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इन दिनों गंभीर परिचालन संकट का सामना कर रही है। बुधवार को करीब 150 उड़ानें रद्द होने से लाखों यात्री प्रभावित हुए। स्थिति बिगड़ने पर DGCA ने एयरलाइन के शीर्ष अधिकारियों को तलब कर जवाब मांगा है।

नए नियमों ने बढ़ाई दिक्कत
परिचालन बाधा की मुख्य वजह DGCA के 1 नवंबर से लागू हुए नए FDTL (Flight Duty Time Limitation) नियम बताए जा रहे हैं। इनका उद्देश्य फ्लाइट क्रू को थकान से बचाकर उड़ान सुरक्षा सुनिश्चित करना है।

नए निर्देशों के अनुसार—

  • क्रू एक दिन में 8 घंटे से अधिक उड़ान नहीं भर सकेंगे
  • सप्ताह में 35 घंटे, महीने में 125 घंटे और साल में 1000 घंटे की सीमा
  • दो लगातार रात्रि ड्यूटी के बाद नाइट शिफ्ट की अनुमति नहीं
  • पायलट रात में अधिकतम दो लैंडिंग कर सकेंगे

क्रू की भारी कमी से जूझ रही इंडिगो के लिए इन नियमों को लागू करना चुनौती साबित हो रहा है।

इंडिगो ने यात्रियों से मांगी माफी
एयरलाइन ने बयान में कहा कि पिछले दो दिनों से संचालन बाधित रहा है और असुविधा के लिए वह खेद व्यक्त करती है। साथ ही तकनीकी गड़बड़ी, खराब मौसम और भीड़ को भी देरी व रद्द उड़ानों के कारणों में शामिल किया। एयरलाइन ने अगले 48 घंटों में हालात सामान्य करने का आश्वासन दिया।

नवंबर में रद्द उड़ानों का रिकॉर्ड
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार—

  • नवंबर में कुल 1232 उड़ानें रद्द
    • 755 क्रू की कमी
    • 92 ATC सिस्टम फेल
    • 258 एयरस्पेस प्रतिबंध
    • 127 अन्य कारणों से
  • OTP (On Time Performance) गिरकर
    • अक्तूबर: 84%नवंबर: 67%
    • मंगलवार: केवल 35%

दिल्ली, बेंगलुरू, हैदराबाद और मुंबई एयरपोर्ट सबसे ज्यादा प्रभावित रहे।

यात्रियों की बड़ी परेशानी
कई यात्रियों की कनेक्टिंग फ्लाइट्स छूट गईं। एक 76 वर्षीय यात्री ने शिकायत की—

“फ्लाइट रद्द हुई और एयरलाइन ने रात में ठहरने का इंतजाम भी नहीं किया।”

सूचना के अभाव और खराब प्रबंधन को लेकर भी यात्रियों ने नाराज़गी जताई।

पायलट्स एसोसिएशन ने प्रबंधन पर उठाए सवाल
‘एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ ने इंडिगो समेत बड़ी एयरलाइनों पर रीसोर्स प्लानिंग में गंभीर नाकामी के आरोप लगाए। संगठन ने DGCA से मांग की कि स्लॉट मंजूरी देते समय एयरलाइन के उपलब्ध पायलटों की संख्या और FRMS मानकों को ध्यान में रखा जाए।

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