
Kiratpur,Bijnor : किरतपुर ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम हुसैनपुर सर्विस रोड, किरतपुर–बिजनौर बाईपास स्थित शिव नगर कॉलोनी के निकट ग्राम समाज की भूमि पर अवैध खनन और पेड़ कटान का गंभीर मामला सामने आया है। आरोप है कि नगर पालिका सदस्य इरशाद अहमद द्वारा ग्राम समाज की भूमि की मिट्टी को जेसीबी से खनन कर अपने खेत में भर दिया गया। वहीं भूमि पर खड़े हरे-भरे 28 आम के पेड़ों को काट दिया गया और कुछ पेड़ों की इतनी छंटाई कर दी गई कि वे हवा चलने पर स्वयं गिर सकते हैं।
यूपी सरकार के पेड़ संरक्षण कानून का उल्लंघन
उत्तर प्रदेश में पेड़ों के संरक्षण के लिए “उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1976” लागू है, जिसके अनुसार
किसी भी पेड़ को काटने हेतु संबंधित विभाग से अनुमति लेना अनिवार्य है।
पेड़ कटान की स्थिति में उतने ही नए पौधे लगाना कानूनी रूप से आवश्यक है।
पेड़ कटान के बाद उसकी लकड़ी के परिवहन के लिए फॉर्म–इलाज जरूरी होता है।
उल्लंघन की स्थिति में जुर्माना और कारावास का भी प्रावधान है। लेकिन किरतपुर में सामने आए इस मामले में इन सभी प्रावधानों की खुली धज्जियाँ उड़ती दिख रही हैं।
अधिकारियों के अस्पष्ट जवाब बढ़ा रहे संदेह
जब इस संबंध में परगना पटवारी आनंद प्रकाश से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने मामले की जानकारी न होने की बात कहते हुए पल्ला झाड़ लिया।
नायब तहसीलदार नजीबाबाद आनंद भगत ने बताया कि “जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। दोषी पाए जाने पर कार्रवाई अवश्य होगी।”
वहीं, इरशाद अहमद के निजी बाग में भी कटान की परमिशन लेकर पेड़ों को काटा गया है। लेकिन जब कटे पेड़ों के बदले लगाए जाने वाले पौधों के बारे में वन दरोगा नीतीश कुमार से पूछा गया तो वे कोई ठोस जवाब नहीं दे सके। लकड़ी की चौड़ाई, लंबाई और उसके परिवहन के लिए आवश्यक रवन्ना फॉर्म की स्थिति पर भी वे असमंजस में दिखे।
पेड़ काटने वाले ठेकेदार ने कहा कि “रवन्ना और अन्य दस्तावेज वन विभाग बनाता है, हमें इसकी जानकारी नहीं होती।” यह बयान स्थानीय प्रशासन तथा वन विभाग की संभावित मिलीभगत की ओर इशारा करता है।
किरतपुर की हरी विरासत पर संकट
स्थानीय लोगों का कहना है कि कभी किरतपुर क्षेत्र आमों का शहर कहलाता था, लेकिन अब चंद पैसों के लालच में बड़े पैमाने पर कटान कर उसकी पहचान मिटाई जा रही है।
जहां एक ओर योगी सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर पौधारोपण कर रही है, वहीं विभागीय लापरवाही और अवैध गतिविधियाँ सरकार के प्रयासों को पलीता लगाती नजर आ रही हैं।
जवाबदेही से बचते विभाग, कार्रवाई की मांग तेज
मामला सामने आने के बाद भी विभागों की तरफ से केवल गोलमोल जवाब दिए जा रहे हैं। जनता ने मांग की है कि
अवैध खनन व कटान की उच्चस्तरीय जांच हो,
कटान में शामिल व्यक्तियों व अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाए,
कटे पेड़ों के बदले नए पौधों का रोपण अनिवार्य कराया जाए।
किरतपुर का यह मामला न केवल स्थानीय प्रशासन की कमजोरी उजागर करता है बल्कि यूपी वृक्ष संरक्षण अधिनियम के खुले उल्लंघन का भी उदाहरण बनकर सामने आया है।










