दिल्ली उपचुनाव में भाजपा ने 7 सीटों पर किया कब्जा

नई दिल्ली। दिल्ली में 12 वार्डों में हुए उप-चुनाव का परिणाम आ चुका है, जिसमें 7 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत हासिल की है, जबकि 3 सीटों पर आम आदमी प्रत्याशी, एक पर कांग्रेस और एक पर निर्दलीय प्रत्याशी की जीत हुई है। बता दें कि 12 में से 11 पूर्व पार्षदों का दिल्ली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद यह पद रिक्त हुई थी, जबकि 1 सीट पर गत वर्ष कमलजीत सेहरावत के सांसद चुने जाने के कारण भी रिक्त थी। इसी के चलते 12 वार्डों की चुनाव हुई, जिसमें सात पर भाजपा ने विजय हासिल की है। चुनाव परिणाम ने भाजपा वर्करों को हतोत्साहित भी किया। पार्टी वर्करों का यह मानना है कि परिणाम आशा के विपरीत नहीं रही। संगम बिहार से भाजपा विधायक चंदन कुमार चौधरी पहले 163 वार्ड के पार्षद रह चुके हैं, उन्होंने कहा है कि मुस्लिम वोट पोलराइज्ड होने के चलते हमारी हार हुई। हम इस पर आगे चिंतन मनन करेंगे, क्योंकि परिणाम अच्छा नहीं रहा है। 12 में से 3 सीटों पर आम आदमी प्रत्याशी के चुनाव परिणाम के बाद आप पार्टी के वरिष्ठ लीडर और दिल्ली प्रदेश के उपाध्यक्ष का कहना है कि पूरी दिल्ली की कैबिनेट इस छोटे चुनाव में (बाई-इलेक्शन) में उतर चुकी थी, इसके बावजूद परिणाम भाजपा के लिए संतोषप्रद नहीं रहा।

जब भाजपा के वरिष्ठ नेता डिलीवरी की बात करते हैं, तो पुरानी बातें लोगों को यादें आ जाती हैं कि भारतीय जनता पार्टी का भी अब कथनी और करनी में भारी अंतर हो चुकी है। बता दें कि पहले बारह में से 9 सीट भाजपा के पास थी। जब दिल्ली में एक प्रकार से ट्रिपल इंजन की सरकार है, इसके बावजूद भी जो सीटें थी। वह हासिल तक नहीं हो पाई है। लिहाजा चुनाव परिणाम के बाद अब गली- गली में फिर से एक बार यह परिणाम एक प्रकार से चर्चा का विषय बन चुका है। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रत्याशी का कहना है कि भाजपा के लिए यह चुनाव एक लिटमस टेस्ट जैसा था, जो अब सामने आ चुकी है। कांग्रेस निश्चित रूप से एक सीट पर ही विजयी हुई है, लेकिन यही एक सीट 100 सीटों पर जाएगी, उन्होंने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष, जिलाध्यक्ष और पार्टी के वर्करों के सफल प्रयास से एक छोटे से चुनाव में संगम विहार से पार्टी के उम्मीदवार की विजयी हुई है। निश्चय ही यह पल अत्यंत सराहनीय है। बता दें कि अब चुनाव परिणाम के बाद वर्तमान में एमसीडी की कुल 250 सीटों में बीजेपी के पास परिणाम के बाद 123 ● आप – 101 सीटें● कांग्रेस – 9 सीटें● इंद्रप्रस्थ विकास पार्टी – 15 सीटें और निर्दलीय की संख्या एक हो गई है।


भाजपा, आप और कांग्रेस — तीनों ही दल इन उपचुनावों को बेहद अहम मान रहे थे। भाजपा इसे निगम में अपना वर्चस्व मजबूत करने के अवसर के तौर पर देख रही थी, तो वहीं आम आदमी पार्टी अपनी खोई हुई सीटें वापस पाने के प्रयास में जुटी थी, जबकि कांग्रेस भी इस चुनावों में वापसी की उम्मीद कर रही थी। बहरहाल आगे चाहे जो कुछ भी हो किंतु भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं को जरूर यह परिणाम हैरत में डाल दिया है।

खबरें और भी हैं...

अपना शहर चुनें