
जयपुर : पूर्व राजस्थान मंत्री और कांग्रेस नेता महेश जोशी को जल जीवन मिशन घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। सात महीने तक जयपुर सेंट्रल जेल में बंद रहने के बाद अब जोशी जेल से बाहर आ सकेंगे। बुधवार को जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एजी मसीह की बेंच ने लंबी सुनवाई के बाद उनकी जमानत मंजूर की।
जोशी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 24 अप्रैल को 900 करोड़ रुपए के कथित घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था। राजस्थान हाईकोर्ट ने 26 अगस्त को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। 21 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था और अब जमानत मंजूर कर दी गई है।
व्यक्तिगत त्रासदी
अदालत में लंबी सुनवाई के दौरान जोशी को व्यक्तिगत झटका भी लगा। 28 अप्रैल को उनकी पत्नी का निधन हो गया था। उस समय कोर्ट ने उन्हें चार दिन की अंतरिम राहत दी थी, जिसके बाद वे न्यायिक हिरासत में थे।
सुप्रीम कोर्ट में दलीलें
बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि जोशी सात महीने से जेल में हैं और ट्रायल शुरू होने में लंबा समय लग सकता है। ED द्वारा पेश किए गए रिकॉर्ड में रिश्वत लेने का ठोस प्रमाण नहीं है। आरोप था कि जोशी ने बेटे की फर्म को लोन दिलाने के नाम पर 55 लाख रुपए की रिश्वत ली थी, लेकिन बचाव पक्ष ने कहा कि यह राशि वापस कर दी गई है।
ED की आपत्ति
एजेंसी ने जमानत का विरोध किया और कहा कि अन्य FIR में जोशी की भूमिका सामने आई है और 55 लाख रुपए का संदिग्ध लेन-देन साबित है। ED ने तर्क दिया कि राशि लौटाने से अपराध की गंभीरता कम नहीं होती और जमानत मिलने पर गवाह प्रभावित हो सकते हैं।
जमानत के बाद
सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद जोशी को नियमित जमानत दे दी। इस फैसले से जोशी और कांग्रेस दोनों को राहत मिली है। हालांकि, जल जीवन मिशन घोटाले की जांच अभी जारी है और ट्रायल आने वाले महीनों में राजनीतिक और प्रशासनिक स्तर पर बड़ा मुद्दा बने रहने की संभावना है।
जल जीवन मिशाले घोटाले के पांच मुख्य बिंदु
- योजना का दुरुपयोग: ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल परियोजना केंद्र और राज्य की समान भागीदारी से चलनी थी, लेकिन DI पाइपलाइन की जगह HDPE पाइप डाली गई।
- पुरानी पाइप को नया बताकर भुगतान: कई जगह पुराने या बेकार पाइप को नया दिखाकर बिल पास किए गए।
- बिना पाइपलाइन डाले भुगतान: कुछ क्षेत्रों में पाइपलाइन डाली ही नहीं गई, फिर भी करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया गया।
- चोरी की पाइप का इस्तेमाल: हरियाणा से चोरी की पाइप लाकर नई पाइप की तरह बिछाई गई और भारी भुगतान लिया गया।
- फर्जी दस्तावेजों पर टेंडर: पदमचंद जैन ने फर्जी कंपनी सर्टिफिकेट लगाकर टेंडर हासिल किया, अधिकारियों को जानकारी होने के बावजूद प्रभावशाली राजनेता से संपर्क के कारण अनुमति मिली।















