एमपी-एमएलए के आपराधिक मामलों को लिया केस ऑफिसर स्कीम में

Jaipur : प्रदेश में एमपी और एमएलए के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को केस ऑफिसर स्कीम में ले लिया गया है। राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट को इस संबंध में जानकारी दी गई। जिसे रिकॉर्ड पर लेते हुए अदालत ने मामले की सुनवाई जनवरी माह के प्रथम सप्ताह में रखी है। जस्टिस इन्द्रजीत सिंह और जस्टिस रवि चिरानिया की खंडपीठ ने यह आदेश मामले में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हाईकोर्ट की ओर से लिए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए।

सुनवाई के दौरान सोमवार को महाधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद अदालत में पेश हुए। उन्होंने अदालत को बताया कि एमपी और एमएलए को लेकर पुलिस में दर्ज मामलों को केस ऑफिसर स्कीम में लेकर इनमें केस ऑफिसर नियुक्ति कर दिया गए हैं। वहीं कुछ जन प्रतिनिधियों के खिलाफ सीबीआई में मामले दर्ज हैं। ऐसे में उनकी जांच सीबीआई कर रही है। इसलिए उन मामलों में राज्य सरकार दखल नहीं दे सकती।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने मामले में पूर्व में सुनवाई करते हुए संबंधित निचली अदालतों को कहा था कि वे इन केसों की ट्रायल जल्दी पूरी करे। वहीं राज्य सरकार को कहा था कि वह चार्ट पेश कर बताए कि कौनसा केस कितने साल से लंबित है और वर्तमान में उसकी क्या स्थिति है। राज्य सरकार की ओर से अदालत को जानकारी दी गई थी कि इन केसों की मॉनिटरिंग चल रही है और इनकी ट्रेकिंग के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए हैं।

दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2023 में एमपी-एमएलए से जुड़े आपराधिक केसों के मामले में दिशा-निर्देश जारी कर हाईकोर्ट को इन केसों की मॉनिटरिंग के लिए कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को कहा था कि वे इन केसों के संबंध में स्वप्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर इसे दर्ज करें और इन केसों की ट्रायल कर रहे जिला जज या स्पेशल कोर्ट की मॉनिटरिंग करें। इसके अलावा हाईकोर्ट एमपी-एमएलए से जुड़े केसों की सुनवाई करने वाली संबंधित ट्रायल कोर्ट से रिपोर्ट मांगे। वहीं यदि जरूरत हो तो इन केसों की सुनवाई के लिएहाईकोर्ट स्पेशल कोर्ट भी बनाई जाए।

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