
उज्जैन : मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने उज्जैन के दशहरा मैदान में तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव का उद्घाटन किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने अपने गुरु महर्षि सांदीपनि से प्राप्त ज्ञान के आधार पर कर्मयोग और धर्म की स्थापना की। उन्होंने कुरुक्षेत्र के युद्ध में विपरीत परिस्थितियों में भी संघर्ष करने और अन्याय के विरुद्ध लड़ने का संदेश दिया। मुख्यमंत्री ने भगवद गीता को जीवन का सर्वोत्तम ग्रंथ बताते हुए कहा कि इसके उपदेश कठिन समय में भी कर्तव्य निभाने की प्रेरणा देते हैं।
मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग, वीर भारत न्यास, जनसंपर्क विभाग, उच्च शिक्षा विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, जेल विभाग, श्रीकृष्ण पाथेय न्यास और जिला प्रशासन के संयुक्त तत्वावधान में यह महोत्सव 3 दिसंबर तक आयोजित किया जा रहा है। उद्घाटन समारोह में संरक्षक रामानुज कोट, संत स्वामी रंगनाथाचार्य महाराज, विश्व गीता प्रतिष्ठान के अध्यक्ष स्वामी माधवप्रपन्नाचार्य महाराज, विधायक अनिल जैन कालुहेड़ा, केंद्रीय परीक्षा प्रमुख ओमप्रकाश शर्मा, ईस्कॉन मंदिर के राघव पंडित सहित अनेक गणमान्य अतिथि, शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित रहे।
तीन दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव में सांस्कृतिक प्रस्तुतियों की भरमार होगी। पहले दिन पुनीत इस्सर के निर्देशन में जय श्री कृष्ण-गीता सार नृत्य-नाट्य का मंचन किया जाएगा। दूसरे दिन नई दिल्ली की कलाकार वैष्ण्वी शर्मा विराटजयी-काव्य प्रस्तुति देंगी, उसके बाद मोहित शेवानी के निर्देशन में कृष्णायन नाट्य का मंचन होगा। तीसरे दिन विश्ववंदनीय नाट्य का प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें भरतनाट्यम, कथक और मोहिनीअट्टम नृत्यों की प्रस्तुतियाँ शामिल हैं। साथ ही गीता ऑन व्हील्स नाट्य और माधव दर्शनम-लघु चित्र शैलियों में चित्र प्रदर्शनी भी महोत्सव का हिस्सा होंगी। प्रवेश सभी के लिए नि:शुल्क है।
मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कार्यक्रम स्थल पर भगवान श्रीकृष्ण के चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित किया और सम्राट विक्रमादित्य शोध पीठ के निदेशक डॉ. श्रीराम तिवारी ने उनका एवं अन्य अतिथियों का सम्मान किया। इसके बाद भगवद गीता के 15वें अध्याय पुरुषोत्तम योग का सस्वर पाठ भी किया गया।
इस महोत्सव का उद्देश्य भगवद गीता के उपदेशों को आमजन तक पहुँचाना और युवाओं में धार्मिक, सांस्कृतिक और नैतिक चेतना को बढ़ावा देना है।











