
रामपुर : समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म ख़ान से मिलने पहुँचे उनके सबसे भरोसेमंद सहयोगी और पैरवीकार यूसुफ़ मलिक को जेल प्रशासन ने जबरन रोक दिया, जिसके बाद जेल गेट पर भारी बवाल खड़ा हो गया। यूसुफ़ मलिक ने जेलर पर खुलेआम बदमाशी, सत्ता के इशारे पर गुंडागर्दी और जेल मैनुअल की धज्जियाँ उड़ाने के संगीन आरोप लगाए। उन्होंने तड़ाक से कहा कि “हम आज़म ख़ान के वकील जैसे काम कर रहे हैं… उनके मुक़दमे देख रहे हैं और जेल प्रशासन हमें उनसे मिलने ही नहीं दे रहा। यह साज़िश है, नाकामी छुपाने की हरकत है। यह जेलर की बदतमीज़ी नहीं, सीधी राजनीतिक गुंडागर्दी है।
मलिक ने जेलर के ख़िलाफ़ कोर्ट जाने की खुली चेतावनी देते हुए कहा कि जेल मैनुअल को रौंदा जा रहा है, अदालत में मिलेंगे, कर्मों की सज़ा मिलेगी।
आज़म ख़ान की कानूनी लड़ाई: ‘भूकंप लाने वाली हक़ीक़त करीब’ भाई का दावा
आज़म ख़ान पर सौ से अधिक मुकदमे दर्ज हैं, लेकिन उनके भाई का कहना है कि “अल्लाह का करम है, एक-एक कर सारे ढह रहे हैं। एक ही केस में सज़ा हुई है, वो भी ग़लत। मगर यह देश की अदालत है, सर झुकाकर स्वीकार है। पर चेतावनी साफ़ नीचे की अदालत ने जो देना था दे दिया, अब हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में न्याय की बारी है। इंसाफ़ मिला है और मिलेगा।”
राजनीति या अत्याचार? बड़ा सवाल
रामपुर जेल के बाहर बना माहौल कई तीखे सवाल खड़े कर रहा है
क्या आज़म ख़ान को राजनीतिक प्रतिशोध का शिकार बनाया जा रहा है?
क्यों उनके क़रीबियों को कानूनी अधिकारों के बावजूद मिलने नहीं दिया जा रहा?
राज्य सत्ता और जेल प्रशासन में किसका खेल चल रहा है?
यूसुफ़ मलिक का दावा है कि आज़म साहब को तोड़ने की कोशिश मत करो, वो झुकेंगे नहीं।
फिलहाल जेल प्रशासन चुप है, लेकिन राजनीतिक गलियारों में आग लग चुकी है। रामपुर में हालात कभी भी बड़ा रूप ले सकते हैं।










