
Manila, New Delhi : फिलीपींस के दो स्कूलों के युवा शोधकर्ताओं ने क्षेत्रीय विज्ञान प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन करते हुए पहला स्थान हासिल किया है। भारतीय वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश वत्स के वैज्ञानिक मार्गदर्शन और तकनीकी सहयोग ने इन परियोजनाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर का बनाने में अहम भूमिका निभाई। यह उपलब्धि भारत और फिलीपींस के बीच वैज्ञानिक सहयोग की एक मिसाल बनकर सामने आई है।
पहली बड़ी कामयाबी BNHS – Regional Science High School for MIMAROPA के छात्र क्लाइड विन्सेंट पेरेज़ और उनकी टीम के नाम रही। इन छात्रों ने कैंसर के क्षेत्र में एक नियंत्रित इन-विट्रो अध्ययन पेश किया, जिसमें मानव कोलोरेक्टल कैंसर कोशिकाओं (HCT 116) के व्यवहार और संवेदनशीलता का विश्लेषण किया गया। वैज्ञानिक आंकड़ों की गुणवत्ता, शोध पद्धति की सटीकता और नतीजों की स्पष्टता को देखते हुए निर्णायकों ने इस परियोजना को Regional Science and Technology Fair का विजेता घोषित किया।
अब यह परियोजना राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली National Science and Technology Fair (NSTF 2026) के लिए चुनी जा चुकी है।
दूसरी कामयाबी Bucal National Integrated School के छात्र अर्विन मिले को मिली। उन्हें जीवन विज्ञान श्रेणी में “Best Research in Life Science Category” में प्रथम स्थान का सम्मान दिया गया। अर्विन ने बताया कि वैज्ञानिक मार्गदर्शन और सही तकनीकी सहयोग ने उनके शोध की गुणवत्ता और प्रस्तुति को काफी मजबूत बनाया। उनका कहना है कि डॉ. वत्स की मदद से उन्हें शोध के हर पहलू को बारीकी से समझने का मौका मिला।
डॉ. अखिलेश वत्स ने कहा कि युवा शोधकर्ताओं को सही वैज्ञानिक दिशा और अनुभवी मार्गदर्शकों का साथ मिलना जरूरी है, तभी स्कूल स्तर पर भी बेहतरीन शोध कार्य हो सकते हैं।
उन्होंने कहा कि विकासशील देशों के छात्रों में विश्वस्तरीय प्रतिभा है और सही मदद मिलने पर वे वैश्विक मंचों पर अपनी पहचान बना सकते हैं। डॉ. वत्स ने यह भी जोड़ा कि ऐसे सहयोग से न केवल छात्रों का आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि वे आगे चलकर बड़े वैज्ञानिक शोध करने के लिए भी प्रेरित होते हैं।
दोनों स्कूलों के छात्रों और शिक्षकों का कहना है कि समय पर मिले वैज्ञानिक मार्गदर्शन ने न सिर्फ उनके शोध को मजबूती दी, बल्कि निर्णायकों के सामने पेश किए गए आंकड़ों को भी विश्वसनीय बनाया। दोनों छात्र दलों ने डॉ. वत्स को आधिकारिक धन्यवाद पत्र भी भेजे हैं, जो इस सहयोग की गहराई को दर्शाते हैं।
गौरतलब है कि कोलोरेक्टल कैंसर दुनियाभर में तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है और इस पर शोध की बड़ी जरूरत है। स्कूली स्तर पर इस तरह के गंभीर विषयों पर शोध होना न सिर्फ छात्रों के लिए, बल्कि चिकित्सा विज्ञान के भविष्य के लिए भी उत्साहजनक है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर युवाओं को सही उम्र में वैज्ञानिक सोच और शोध का माहौल मिले तो वे आगे चलकर बड़ी खोजों में योगदान दे सकते हैं।
इन उपलब्धियों से साबित होता है कि वैज्ञानिक सहयोग और ज्ञान साझा करने की संस्कृति स्कूली शोध को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रही है। भारतीय वैज्ञानिक डॉ. अखिलेश वत्स के इस योगदान ने फिलीपींस के युवा शोधकर्ताओं के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों का रास्ता खोल दिया है।















