
Gola, Gokarnanath, Lakhimpur Kheri : तहसील गोला की उप-जिलाधिकारी (न्यायिक) रेनू मिश्रा पर आरोपों का मामला तूल पकड़ता दिख रहा है। सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष व वरिष्ठ अधिवक्ता लाल बिहारी वर्मा ने एसडीएम न्यायिक पर पद और अधिकारों के दुरुपयोग, मुकदमों में रिश्वतखोरी, बोली लगवाकर निर्णय पारित करने और आर्थिक रूप से कमजोर पक्षकारों के साथ अन्याय करने के गंभीर आरोप लगाए हैं। आरोप है कि न्याय की उम्मीद लेकर आने वाले गरीब वादकारियों का गला घोंटा जा रहा है और कथित रूप से अधिक धनराशि देने वाले पक्ष के पक्ष में फैसले सुनाए जा रहे हैं, जिससे न्याय व्यवस्था की गरिमा और पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न लग रहे हैं।
वरिष्ठ अधिवक्ता ने दावा किया है कि एसडीएम द्वारा मुकदमों में बहस सुनने के बाद निर्णय दो से तीन महीनों तक सुरक्षित रखा जाता है और बाद में वही फैसला सुनाया जाता है, जिसकी ओर से अधिक धनराशि दी जाती है। अपने आरोपों के समर्थन में उन्होंने दो मुकदमों श्रीमती मूर्ति बनाम चक मार्ग धारा 24 आरजी ग्राम नगर सलेमपुर और अजीत सिंह बनाम सरजू धारा 24 ग्राम भरवारा का उदाहरण देते हुए कहा कि इन मामलों में न्यायिक प्रक्रिया और कानून को नजरअंदाज करते हुए कथित रूप से धन के आधार पर निर्णय पारित किए गए।
लाल बिहारी वर्मा ने बताया कि वह इस पूरे प्रकरण की विस्तृत लिखित शिकायत 28 नवंबर को मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश, प्रमुख सचिव राजस्व, आयुक्त लखनऊ मंडल और जिलाधिकारी लखीमपुर खीरी को भेजेंगे। शिकायत में मांग की गई है कि एसडीएम रेनू मिश्रा के पारित सभी निर्णयों की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए, न्यायिक अधिकारों पर रोक लगाई जाए और दोष सिद्ध होने पर कठोर विभागीय एवं कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित की जाए। उनके अनुसार, जनहित व न्याय व्यवस्था की रक्षा के लिए शासन स्तर पर हस्तक्षेप अनिवार्य है, ताकि भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके और कमजोर व गरीब वादकारियों को न्याय मिल सके।
हालांकि आरोपों पर एसडीएम रेनू मिश्रा ने स्वयं पर लगाए गए आरोपों को पूरी तरह असत्य और निराधार बताया है। उनका कहना है कि “सभी आरोप झूठे हैं। यदि उच्च स्तरीय जांच होगी तो सब कुछ स्पष्ट हो जाएगा। मैंने अपने पद पर रहते हुए जो भी कार्रवाई की है, वह कानून के अनुसार और पूरी तरह सही है।










