
गोपेश्वर (चमोली) : बदरीनाथ धाम सदियों से तप, ध्यान और साधना का पवित्र केंद्र माना जाता है। यहाँ हर साल कड़ाके की ठंड और अत्यधिक बर्फबारी में भी कई साधु-संत गुफाओं और कुटियाओं में रहकर कठोर तपस्या करते हैं। इस बार भी शीतकाल में धाम में रहकर आध्यात्मिक साधना करने के लिए 20 साधु-संतों ने अनुमति आवेदन किया है।
बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के बाद आम नागरिकों को हनुमान चट्टी से आगे जाना पूरी तरह प्रतिबंधित हो जाता है। छह महीनों तक पूरा धाम क्षेत्र सेना, आईटीबीपी और मंदिर समिति की निगरानी में रहता है। इसी दौरान हिमालय की गोद में साधक एकांत में तप करने का अवसर पाते हैं।
प्रशासन की कड़ी सुरक्षा व अनुमति अनिवार्य
शीतकाल में धाम में निवास के लिए ज्योतिर्मठ तहसील प्रशासन की अनुमति लेना आवश्यक है। आवेदकों की पहचान और दस्तावेजों की विस्तृत जांच के बाद ही प्रवेश की अनुमति दी जाती है।
ज्योतिर्मठ के उपजिलाधिकारी चंद्रशेखर वशिष्ठ ने बताया कि अब तक प्राप्त 20 आवेदनों को पुलिस कार्यालय भेजकर सत्यापन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बीते वर्ष भी लगभग इतने ही साधु-संतों को सूत्रधार स्वीकृति मिली थी।















