
New Delhi: विन्ज़ो गेम्स प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है और कंपनी की निदेशकों सौम्या सिंह राठौर और पवन नंदा को गिरफ्तार किया है। बुधवार को उन्हें कोर्ट में पेश किया गया जहां अदालत ने उन्हें ईडी की हिरासत में भेजने का आदेश दिया। बताया जा रहा है कि यह कार्रवाई उन शिकायतों के आधार पर शुरू हुई जिनमें कंपनी पर गलत पहचान, केवाईसी में छेड़छाड़ और यूज़र्स का पैसा रोकने जैसे गंभीर आरोप लगे थे। कई लोगों ने कहा कि उनके नाम से गलत लेनदेन किए गए जिससे उन्हें आर्थिक नुकसान हुआ। अब जांच में नए खुलासों की उम्मीद जताई जा रही है।
क्या केवल ऑनलाइन खेल था मामला
रिपोर्ट्स के अनुसार विन्ज़ो कंपनी ने अपनी ऐप को भारत के अलावा ब्राज़ील, अमेरिका और जर्मनी में भी चलाया जहां असली पैसों से गेम खेले जाते थे। जबकि सरकार ने 22 अगस्त 2025 से रियल मनी गेम्स पर प्रतिबंध लगाया था, कंपनी ने करीब 43 करोड़ रुपये वापस नहीं किए। दावा है कि यूज़र्स को यह विश्वास दिलाया गया कि वे असली खिलाड़ियों के साथ खेल रहे हैं, जबकि सिस्टम के अनुसार वे सॉफ़्टवेयर और एल्गोरिद्म के खिलाफ मुकाबला कर रहे थे। इससे कंपनी को फायदा होता था और ग्राहकों का पैसा फंस जाता था।
क्या 505 करोड़ की सच्चाई छिपी थी
ईडी की जांच में सामने आया कि कंपनी से जुड़े लगभग 505 करोड़ रुपये संदिग्ध तरीके से इकट्ठे किए गए थे। यह रकम बैंक खातों, बांड, फिक्स्ड डिपॉज़िट और म्यूचुअल फंड के रूप में फ्रीज़ कर दी गई। आरोप है कि कंपनी ने कुछ निवेश विदेश में भेजे और अमेरिका में WinZO US Inc. नाम की शेल कंपनी में लगभग 490 करोड़ रुपये पार्क किए गए, जबकि उसका पूरा संचालन भारत से किया जा रहा था। इस लेनदेन की वैधता पर अब सवाल उठ रहे हैं।
क्या यूज़र्स को खेलते वक्त पता था
ग्राहकों का कहना है कि कंपनी ने उनके वॉलेट में पड़े पैसे निकालने पर रोक लगा दी थी और कुछ मामलों में अकाउंट ब्लॉक कर दिया गया। यूज़र्स ने शिकायत की कि गेम हारने के बाद पैसा कटता रहा लेकिन जीतने पर पैसे नहीं मिले। कई छोटे निवेशकों ने कहा कि उन्होंने ऐप पर भरोसा करके पैसा लगाया पर उन्हें वापसी नहीं मिली। यह बात ईडी की रिपोर्ट में भी शामिल बताई जा रही है।
क्या जांच अब और गहराएगी
ईडी ने इस मामले की जांच मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून यानी PMLA 2002 के तहत की है। रिमांड पर सुनवाई के लिए गुरुवार सुबह 11:30 बजे बहस होनी है। अधिकारियों का कहना है कि अगर पैसे विदेश भेजने की प्रक्रिया अवैध पाई गई तो कार्रवाई और सख्त होगी। यह भी माना जा रहा है कि अगर आरोप सिद्ध हुए तो कंपनी और उसके अधिकारियों पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है।
क्या निवेशक भी फंस सकते हैं
कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि कंपनी में पैसे लगाने वाले निवेशकों को भी जांच का सामना करना पड़ सकता है यदि उन्होंने लेनदेन की पूरी जानकारी नहीं दी। कई फर्मों और एजेंट्स ने कंपनी के साथ काम किया था और उन सबकी गतिविधियों की जांच अब की जा सकती है। यह भी संभावना जताई जा रही है कि कुछ विदेशी पार्टनर भी जांच के दायरे में आएंगे।
क्या यह मामला मिसाल बनेगा
यह पूरा मामला ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री के लिए चेतावनी माना जा रहा है। लोगों का मानना है कि अगर कंपनी के खिलाफ आरोप साबित हुए तो भविष्य में ऐसी ऐप्स पर कड़ा नियंत्रण लगाया जा सकता है। वर्तमान में निदेशकों की गिरफ्तारी से सरकार ने साफ संकेत दिया है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर होने वाली वित्तीय गड़बड़ियां अब बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। अब नज़र इस बात पर है कि जांच से आगे क्या परिणाम निकलते हैं।













