
नई दिल्ली : देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस सूर्यकांत ने संविधान दिवस के अवसर पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में बार की अहमियत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संविधान की पवित्रता और कानून के शासन को बनाए रखने में बार की भूमिका निर्णायक है। सीजेआई ने कहा कि यदि अदालतें संविधान की प्रहरी हैं, तो वकील समुदाय वह मार्गदर्शक है जो न्यायपालिका को उसके संवैधानिक दायित्व निभाने में प्रकाश देता है।
मुख्य न्यायाधीश ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि न्याय व्यवस्था के अदृश्य पीड़ितों — यानी समाज के कमजोर और हाशिये पर खड़े लोगों — को न्याय दिलाने में बार ही सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने कहा कि संविधान की मूल भावना को धरातल पर उतारने के लिए बार को कानूनी सहायता और राज्य के नीति निदेशक सिद्धांतों के अनुरूप सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
इस मौके पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी कहा कि संविधान की खूबसूरती यह है कि न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका — तीनों शासन के स्तंभ एक-दूसरे से स्वतंत्र हैं, लेकिन साथ ही एक-दूसरे पर चेक एंड बैलेंस का संतुलन भी बनाए रखते हैं। उन्होंने दोहराया कि किसी भी संस्था की सर्वोच्चता नहीं, बल्कि केवल संविधान ही सर्वोच्च है।
बता दें कि 26 नवंबर को वर्ष 2015 से आधिकारिक रूप से संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन 1949 में संविधान सभा ने भारत के संविधान को अंगीकृत किया था। इससे पहले यह दिन कानून दिवस के रूप में मनाया जाता था।















