दिल्ली-एनसीआर में हवा बेहद खराब, कई इलाकों में एक्यूआई 400 के पार

New Delhi : दिल्ली-एनसीआर में वायु गुणवत्ता लगातार खतरनाक स्तर पर बनी हुई है। मंगलवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) औसतन 353 और नोएडा सेक्टर-116 एवं 125 का क्रमशः 413 एवं 418 दर्ज किया गया। अगले सप्ताहभर तक इसमें कोई बदलाव होने की संभावना नहीं है।

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, शाम 4 बजे पीएम-10 का स्तर औसतन 366 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर और पीएम 2.5 का स्तर औसतन 380 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रिकार्ड किया गया। एनसीआर के शहरों में भी हालात चिंता बढ़ाने वाले हैं। नोएडा में एक्यूआई 373, गाजियाबाद में 349, ग्रेटर नोएडा में 364 और गुरुग्राम में 303 दर्ज किया गया। फरीदाबाद में एक्यूआई 220 रहा, जो खराब श्रेणी में है।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, कई इलाकों में प्रदूषण का स्तर 400 के आसपास या उससे अधिक दर्ज हुआ है। आनंद विहार में एक्यूआई 400, अशोक विहार में 385, बवाना में 389, दिल्ली टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी में 396 और वजीरपुर में 390 के करीब स्तर रिकार्ड किया गया। पूसा, आरके पुरम, शादीपुर, सिरीफोर्ट, सोनिया विहार, श्री अरबिंदो मार्ग और विवेक विहार जैसे क्षेत्रों में भी हवा की गुणवत्ता गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।

नोएडा में स्थिति बेहद खराब बनी हुई है। सेक्टर-125 और सेक्टर-116 में एक्यूआई क्रमशः 418 और 413 दर्ज किया गया, जबकि सेक्टर-1 में 373 और सेक्टर-62 में 352 रिकार्ड हुआ। ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-V में एक्यूआई 421 दर्ज किया गया, जो क्षेत्र में सबसे अधिक है। नॉलेज पार्क-III का स्तर 339 रहा। गाजियाबाद के इंदिरापुरम, लोनी, संजय नगर और वसुंधरा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भी हवा की गुणवत्ता चिंताजनक बनी हुई है।

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बेहद खराब और गंभीर श्रेणी की हवा लंबे समय तक रहने पर सांस, आंख और फेफड़ों से संबंधित बीमारियों के मामलों में बढ़ोतरी की आशंका रहती है। सीपीसीबी का अनुमान है कि अगले एक सप्ताह में मौसम में कोई बड़ा बदलाव होने की संभावना नहीं है, जिससे प्रदूषण स्तर में तत्काल सुधार की उम्मीद कम है।

सीपीसीबी के मानदंडों के अनुसार, एक्यूआई 0 से 50 के बीच अच्छा, 51 से 100 के बीच संतोषजनक, 101 से 200 के बीच मध्यम, 201 से 300 के बीच खराब, 301 से 400 के बीच बेहद खराब और 401 से 500 के बीच गंभीर माना जाता है।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली में कुल वायु प्रदूषण में वाहनों की हिस्सेदारी 20.45 फीसदी है। पराली जलाने से 1.97 फीसदी, निर्माण एवं ध्वंस गतिविधियों से 3.10 फीसदी और आवासीय क्षेत्रों से 5.30 फीसदी तक का योगदान होता है।

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