मध्य प्रदेश में SIR कार्य के दबाव से 6 बीएलओ की मौत

MP : मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के कार्य में लगी महिला बीएलओ अनिता नागेश्वर (50) का मंगलवार को निधन हो गया है।

मृतका बीएलओ बालाघाट विधानसभा क्षेत्र-111 के मतदान केंद्र क्रमांक-10 बोट्टा में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत थीं। इससे पहले सोमवार की शाम शहडोल जिले के सोहागपुर तहसील में बीएलओ का दायित्व निभा रहे शिक्षक मनीराम नापित का हृदयघात से निधन हो गया था। मध्य प्रदेश में बीते 10 दिनों में एसआईआर के काम में लगे 6 बीएलओ की मौत के मामले सामने आ चुके हैं।

दरअसल, मध्य प्रदेश की सभी 230 विधानसभाओं में 4 नवंबर से 4 दिसंबर के बीच एसआईआर का काम होना है। इस दौरान प्रदेश के कुल 5 करोड़ 74 लाख 5 हजार वोटर्स के फॉर्म डिजिटलाइज करने हैं। इस काम में 65 हजार 14 बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) की ड्यूटी लगाई गई है, लेकिन काम के तनाव की वजह से उनकी जान पर बन आई है। मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ ने मुख्य चुनाव आयुक्त नई दिल्ली को पत्र लिखा है। जिसमें एसआईआर सर्वे के दौरान मृत होने या घायल-तबीयत खराब होने वाले कर्मचारियों को राहत देने की मांग की गई। साथ ही चुनाव के दौरान मदद दी जाने वाली मदद की तरह मृत कर्मचारी के परिजन को 15 लाख रुपये और घायल या बीमार होने वाले कर्मचारी का सारा इलाज मुफ्त में कराने की मांग की गई है।

दरअसल, बालाघाट जिले की बीएलओ अनिता नागेश्वर की तबीयत 13 नवंबर को खराब हुई। उन्हें पहले बालाघाट, फिर गोंदिया और अंत में नागपुर ले जाया गया, जहां मंगलवार को उनकी मौत हो गई। उनका पार्थिव शरीर घर लाया गया है। बीएलओ के निधन की सूचना मिलने पर एसडीएम जी.एस. धुर्वे, बालाघाट एसडीएम गोपाल सोनी, तहसीलदार भूपेन्द्र अहिरवार और अन्य अधिकारी बांदरी पंचायत के बोट्टा गांव पहुंचे और शोकाकुल परिवार से मुलाकात की। अनिता की बेटी आरती ने आरोप लगाया कि बीएलओ बनने के बाद उनकी मां पर काम का बहुत दबाव था, जिसके कारण उनकी तबीयत बिगड़ी और इलाज के बावजूद सुधार नहीं हुआ। उन्होंने प्रशासन से अपील की कि किसी पर इतना दबाव न डाला जाए कि उसकी मानसिक स्थिति खराब हो जाए और मां की मौत के लिए न्याय की मांग की। ग्राम सरपंच व्यंकट राहंगडाले ने परिवार की आर्थिक स्थिति को देखते हुए 25 लाख रुपये की सहायता राशि और परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने की मांग की है।

इससे पहले शहडोल जिले के सोहागपुर तहसील में 54 वर्षीय प्राथमिक शिक्षक मनीराम नापित का सोमवार शाम हृदयघात से निधन हो गया। वे शासकीय प्राथमिक शाला ढांप टोला, संकुल कोटमा में पदस्थ थे और मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान में बीएलओ का दायित्व निभा रहे थे। मनीराम नापित सोमवार शाम पतेरिया गांव में मतदाताओं से प्रपत्र भरवा रहे थे। इसी दौरान उन्हें एक अधिकारी का फोन आया। फोन रखने के तुरंत बाद उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई। उन्होंने तत्काल अपने बेटे आदित्य नापित को फोन पर इसकी सूचना दी। बेटे आदित्य नापित ने बताया कि वह तुरंत वाहन लेकर मौके पर पहुंचा और पिता को घर लाया। हालांकि, उनकी हालत लगातार बिगड़ती जा रही थी, जिसके बाद उन्हें कार से मेडिकल कॉलेज ले जाया गया। मेडिकल कॉलेज पहुंचने से पहले ही मनीराम नापित का निधन हो चुका था, और डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।

परिजनों ने आरोप लगाया है कि मनीराम नापित की मौत एसआईआर कार्य के अत्यधिक दबाव के कारण हुई है। उनकी पत्नी ममता नापित ने बताया कि उनके पति कई दिनों से भारी दबाव में थे। उन्हें रात-रातभर फ़ॉर्म भरने और उनके डिजिटाइजेशन का काम करना पड़ रहा था। वे शुगर और बीपी की बीमारी से भी ग्रसित थे। इसके बावजूद उन्हें लगातार फील्ड में जाकर काम करना पड़ रहा था। देर रात तक मोबाइल पर निर्देशों का दबाव भी बढ़ता जा रहा था। बेटे ने यह भी बताया कि उनके पिता कई बार एसआईआर के कारण अत्यधिक दबाव महसूस करने की बात कहते थे, लेकिन अधिकारियों द्वारा उन्हें समय पर कोई राहत नहीं दी गई। मतदाता सूची में नाम जोड़ने, हटाने और फॉर्म के डिजिटलाइजेशन के लिए बीएलओ को लगातार फील्ड में रहना पड़ता है। ऑनलाइन पोर्टल की धीमी गति के कारण उन्हें रात भर काम करना पड़ता था, जिससे कार्य का बोझ और बढ़ जाता था।

तीसरा मामला नर्मदापुरम जिले का है। यहां तीन दिन पहले पिपरिया में एसआईआर सर्वे कर लौट रहे सहायक शिक्षक सुजान सिंह रघुवंशी की ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। हादसा रेलवे ट्रैक पार करते समय हुआ, जिससे उनके दोनों पैर गंभीर रूप से जख्मी हो गए। उन्हें गंभीर हालत में भोपाल के बंसल हॉस्पिटल ले जाया गया था, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया। वे गर्ल्स स्कूल पिपरिया में पदस्थ थे।

चौथा मामला रायसेन जिले का है। यहां 20 नवंबर की रात मंडीदीप में एक बीएलओ की हार्ट अटैक से मौत हो गई। रात में बीएलओ रमाकांत पांडे ऑनलाइन मीटिंग में शामिल थे। मीटिंग खत्म होने के 10 मिनट बाद उनकी तबीयत बिगड़ी और वे वॉशरूम में गिर पड़े। परिजन उन्हें भोपाल के नोबेल अस्पताल और एम्स ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। रमाकांत पांडे वार्ड 17 टीलाखेड़ी प्राथमिक स्कूल में शिक्षक थे और बीएलओ की ड्यूटी कर रहे थे।

पांचवां मामला झाबुआ जिले का है। यहां पेश से शिक्षक भुवान सिंह चौहान की हार्ट अटैक से मौत हो गई। वह एसआईआर में बीएलओ का काम देख रहे थे। गत 18 नवंबर को जिला निर्वाचन अधिकारी ने उन्हें काम में लापरवाही बरतने पर सस्पेंड कर दिया था। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के मुताबिक, भुवान सिंह की मौत कार्डियक अरेस्ट (हार्ट अटैक) से हुई है। परिवार का आरोप है कि सस्पेंशन के तनाव की वजह से उनकी जान गई है। वहीं, छठवां मामला दमोह जिले का है। यहां बीएलओ सीताराम गोंड की तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां से जबलपुर रेफर किया गया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई थी।

चार बीएलओ को आया हार्ट अटैक, अस्पताल में उपचार जारी

एसआईआर के काम में लगे तीन बीएलओ को हार्ट अटैक आने की वजह से अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इनमें भोपाल के दक्षिण-पश्चिम विधानसभा के मतदान केंद्र नंबर-45 पर तैनात बीएलओ कीर्ति कौशल शामिल हैं। उनका अस्पताल में उपचार जारी है। टीटी नगर एसडीएम अर्चना शर्मा खुद अस्पताल पहुंची और बीएलओ की सेहत के बारे में जानकारी ली। बीएलओ की तबीयत अब ठीक बताई जा रही है। इसी तरह बीएलओ मोहम्मद लईक को ड्यूटी के दौरान हार्ट अटैक आया था। इन्हें भी अस्पताल में भर्ती कराया गया। इनके अलावा सोमवार को ही रीवा जिले में एसआईआर प्रक्रिया के दौरान बीएलओ विजय पांडेय को ब्रेन हेमरेज हो गया। उन्हें फौरन रीवा ले जाकर अस्पताल में भर्ती कराया गया। पुष्पराज नगर में पदस्थ सहायक शिक्षक पांडेय की हालत फिलहाल स्थिर है। परिजन का आरोप है कि वे कई दिनों से एसआईआर सर्वे में लगे हुए थे। इसी दौरान उन्हें हल्का बुखार भी था। तबीयत बिगड़ने के बाद भी नोडल अधिकारी लगातार सर्वे पूरा करने का दबाव बनाते रहे। परिजन का कहना है कि जिम्मेदार अधिकारी न केवल बीमारी को अनदेखा कर रहे थे, बल्कि समय-सीमा के नाम पर मानसिक दबाव भी डाल रहे थे।

इधर, भिंड शहर में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के कार्य में लगे एक शिक्षक को मंगलवार सुबह ड्यूटी पर जाते समय हार्ट अटैक आ गया। शिक्षक रविंद्र शाक्य को गंभीर हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उनका उपचार जारी है। परिजनों का आरोप है कि शिक्षक लंबे समय से दिल की बीमारी से जूझ रहे थे, लेकिन अधिकारियों ने उनकी बीमारी को नजरअंदाज कर सस्पेंड करने की धमकी देकर काम करने पर मजबूर किया। महावीर गंज निवासी शिक्षक रविंद्र शाक्य को मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान में बीएलओ बनाया गया था। बताया जाता है कि वे लंबे समय से हार्ट की गंभीर बीमारी से पीड़ित हैं और उनका इलाज दिल्ली के एम्स अस्पताल में चल रहा है। इसके बावजूद उनकी तैनाती विक्रमपुरा वार्ड क्रमांक 10 में कर दी गई, जबकि उनका मूल पदस्थापन माध्यवर्ती विद्यालय में है और वे वार्ड 31 में रहते हैं।

इन मामलों को लेकर मप्र तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री उमाशंकर तिवारी ने बताया कि एसआईआर में अधिकारी-कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई गई है। यह 1-2 दिन नहीं, पूरे एक महीने की है। टारगेट पूरा करने के चक्कर में कई बीएलओ तनाव में हैं। इस वजह से कोई हादसे का शिकार हुआ तो किसी को हार्ट अटैक आ गया। निर्वाचन आयुक्त को लिखे पत्र में कहा गया कि निर्वाचन संबंधी इस महत्वपूर्ण कार्य के दौरान मध्य प्रदेश के कुछ कर्मचारियों की मृत्यु हो गई है और कुछ गंभीर बीमार हैं। यह चुनाव से जुड़ा काम ही है। इसलिए 10 अप्रैल 2019 के आदेश के तहत मृत होने पर परिजन को 15 लाख रुपये और घायल-बीमार होने पर कर्मचारी की इलाज की व्यवस्था की जाए। अब तक जिनका निधन हुआ, उन्हें जल्द ही 15 लाख रुपये दिए जाए।

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