राजस्थान : SDM ऊंट पर बैठकर मतदाता को ढूंड रहें, BLO कर रहें SIR का कार्य

राजस्थान के बाढ़मेढ़ जिले में निर्वाचन आयोग के एसआईआर (संपर्क, सूचना और पुनरीक्षण) कार्यक्रम के तहत दूर-दराज के इलाकों में रहने वाले मतदाताओं तक पहुंचने के लिए अनूठे प्रयास किए जा रहे हैं। यहां के धोरों में बसे लोगों तक पहुंचने के लिए प्रशासन ऊंटों का सहारा ले रहा है, क्योंकि एक बूथ के मतदाता कई किलोमीटर तक फैले हुए हैं। राजस्थान के इस जिले में लोग ढाणियों में दूर-दूर रहते हैं, जहां निर्वाचन टीमों के लिए पहुंचना अत्यंत चुनौतीपूर्ण होता है।

जिले के बावरवाला गांव में, एसडीएम सेड़वा बद्रीनारायण विश्नोई और उनकी टीम ने ऊंट पर बैठकर एसआईआर का कार्य किया। इसके जरिए मतदाताओं से संपर्क स्थापित कर उनके आधार कार्ड अपडेट और मतदाता सूची शुद्धिकरण का काम किया गया। यह अभियान न केवल मतदाताओं के शुद्धिकरण के लिए है, बल्कि इससे सामाजिक बदलाव भी देखने को मिल रहा है।

बाड़मेर जैसे क्षेत्र में जहां अधिकतर लोग रोजगार या बिजनेस के सिलसिले में दूसरे राज्यों का रुख करते हैं, वहां की अधिकतर आबादी गुजरात और दक्षिण भारत के राज्यों में रहती है। ऐसे में जब एसआईआर अभियान चला, तो मतदाताओं को 2002 की पुरानी मतदाता सूची की जरूरत पड़ी। कई लोग अपने पुराने रिश्तेदारों से संपर्क कर रहे हैं, जिनके दादा-दादी, नाना-नानी गांवों में रहते हैं, जबकि उनके पोते-पोतियां शहरों में रहते हैं और कभी गांव नहीं आए। इस अभियान के चलते अब उस तीसरी पीढ़ी के लोग भी अपने गांव आ रहे हैं और अपने पुरखों से मिल रहे हैं।

इसके अलावा, कुछ लोग अपने मोबाइल नंबर लेकर अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों को एसआईआर फॉर्म के लिए फोन कर रहे हैं। बाड़मेर जिले के सेड़वा, शिव, चौहटन, और गुढ़ामलानी जैसे क्षेत्रों में लोग अपनी जड़ों को फिर से खोजने के लिए गांव पहुंच रहे हैं। जो लोग शहरों में शिफ्ट हो गए हैं, वे भी अपने पुराने घरों और ढाणियों तक पहुंच रहे हैं। इस प्रक्रिया के दौरान भावुक माहौल बन गया है, लोग पुराने पड़ोसियों से बात कर रहे हैं जिनसे वर्षों से मुलाकात नहीं हुई।

लोगों का कहना है कि इस अभियान से मतदाता सूची शुद्ध हो रही है, साथ ही उनके रिश्तों पर जमी धूल भी साफ हो रही है। रेगिस्तान के गांवों में जंग खा चुके ताले फिर से खुल रहे हैं, और रिश्तों में नई ऊर्जा का संचार हो रहा है। लोग अपनी जड़ों को पहचानने और फिर से जुड़ने के लिए गांव आ रहे हैं, और यह प्रयास सामाजिक और पारिवारिक दोनों स्तरों पर सकारात्मक बदलाव ला रहा है।

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