
हलवारा (पंजाब) : पंजाब का सदाबहार हीरो और सिनेमा जगत का चमकता सितारा धर्म सिंह देओल (धर्मेंद्र) अब हमारे बीच नहीं रहे। उनका पंजाब से रिश्ता बेहद गहरा था—राज्य का शायद ही कोई शहर हो, जहां उनके परिवार की कोई न कोई स्मृति न जुड़ी हो। धर्मेंद्र के पिता केवल कृष्ण देओल अध्यापक थे, और उनकी नौकरी के दौरान हुए तबादलों ने धर्मेंद्र के बचपन की यादें पंजाब के कई शहरों, कस्बों और गांवों में बिखेर दीं। इन्हीं स्थानों में से एक है रायकोट, जो लुधियाना जिले में बठिंडा रोड पर स्थित है। यहाँ भी केवल कृष्ण देओल ने कुछ समय नौकरी की और छोटा ‘धर्म’ लोगों की यादों में बस गया।
रायकोट में केवल कृष्ण देओल का एक घर था, जिसे उन्होंने वर्ष 1959 में पाँच हजार रुपये में स्थानीय व्यापारी अग्रवाल परिवार को बेचा था। यह परिवार आज भी उस घर को सहेजकर रखे हुए है। नया बंगला बन जाने के बावजूद, वे धर्मेंद्र की इस निशानी से भावनात्मक रूप से जुड़े हैं और इसे धरोहर की तरह संवारकर रखते हैं। उनके अनुसार, यह घर केवल एक भवन नहीं, बल्कि गर्व और भावनाओं का प्रतीक है।
उर्दू में हुई थी घर की रजिस्ट्री
केवल कुमार अग्रवाल बताते हैं कि उनके पिता ने 22 जुलाई 1959 को यह घर खरीदा था। रजिस्ट्री 150 रुपये के स्टांप पेपर पर उर्दू भाषा में दर्ज हुई थी। यह घर रायकोट के कुतुबा गेट के पास स्थित पाश मोहल्ला सदावर्तीय में है, जहां धर्मेंद्र ने अपने बचपन के कई साल बिताए और शिक्षा भी ग्रहण की।
घर की एक खासियत यह भी है कि आज भी इसमें लगा बिजली मीटर धर्मेंद्र के पिता केवल कृष्ण देओल के ही नाम पर है। अग्रवाल परिवार ने कभी भी इस मीटर को अपने नाम कराने की नहीं सोची, क्योंकि वे इसे धरोहर मानते हैं।
परिवार से मिलने डांगो और साहनेवाल आते थे धर्मेंद्र
धर्मेंद्र का जन्म पक्खोवाल से सटे गांव डांगो में हुआ था। उनके परिवार के कई सदस्य आज भी वहीं रहते हैं। हालांकि, उनके पिता के साहनेवाल में बस जाने के कारण धर्मेंद्र का बचपन वहीं बीता, लेकिन डांगो से उनका स्नेह कभी कम नहीं हुआ। वे साहनेवाल के साथ-साथ डांगो में अपने चाचा-ताया से मिलने जरूर आया करते थे।
डांगो के पूर्व सरपंच अमृतपाल सिंह बताते हैं कि धर्मेंद्र का गांव से रिश्ता अटूट था। कुछ वर्ष पहले वे गाँव आए थे और लोगों से मिलकर बेहद खुश हुए थे। धर्मेंद्र के बीमार होने पर गाँव के गुरुद्वारे में उनके स्वस्थ होने के लिए विशेष अरदास भी की गई थी।
धर्मेंद्र भले ही इस दुनिया से विदा हो गए हों, लेकिन पंजाब की मिट्टी में बसी उनकी यादें, निशानियाँ और लोगों का प्रेम उन्हें हमेशा अमर बनाए रखेगा।















