
भास्कर ब्यूरो
- शिकायतकर्ता का आरोप: रसूखदार स्टोनो की मुल तैनाती गोरखपुर परिमंडल में, महराजगंज में ग्रामीण अभियंत्रण प्रखंड में स्टेनो का पद सृजित ही नहीं
Maharajganj : जिले में मुख्य विकास अधिकारी के स्टोनो के पद पर तैनाती को लेकर बड़ा आरोप लगा है। ग्रामीण अभियंत्रण विभाग में कार्यरत आनन्द श्रीवास्तव की तैनाती को लेकर शिकायतकर्ता अनिल कुमार गुप्ता ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि आनन्द श्रीवास्तव ने अपने मूल विभाग से इतर रसूख के बल पर सीडीओ के स्टोनो का पद हासिल किया है,जो नियमों के विपरीत है।अनिल कुमार गुप्ता ने आरटीआई के माध्यम से दस्तावेज प्राप्त कर इस तैनाती को गैरकानूनी करार दिया है। उनके अनुसार ग्रामीण अभियंत्रण प्रखंड से संबद्ध कर्मचारी को सीधे मुख्य विकास अधिकारी के स्टोनो पद पर नियुक्त करना नियमों का खुला उल्लंघन है। आरटीआई से मिले साक्ष्यों में स्पष्ट है कि स्टोनो का मूल विभाग ग्रामीण अभियंत्रण है, जबकि स्टोनो का पद प्रशासनिक सेवा से जुड़ा होता है।शिकायतकर्ता का आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर विभागीय अधिकारियों ने आनन्द श्रीवास्तव को सीडीओ कार्यालय में तैनात कर दिया।
यह न केवल सेवा नियमों का उल्लंघन है, बल्कि प्रशासनिक पारदर्शिता पर भी सवाल खड़े करता है। शिकायतकर्ता का कहना है कि इस तरह की तैनाती से योग्य कर्मचारियों के अधिकारों का हनन होता है और विभागीय व्यवस्था पर नकारात्मक असर पड़ता है।मामला सामने आने के बाद जिले में चर्चा का विषय बन गया है। कई लोग इसे प्रशासनिक लापरवाही और प्रभावशाली दबाव का परिणाम मान रहे हैं। वहीं शिकायतकर्ता ने मांग की है कि इस तैनाती की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों पर कार्रवाई की जाए।सूत्रों का कहना है कि विभागीय नियमों के अनुसार किसी भी कर्मचारी को उसके मूल विभाग से हटाकर दूसरे विभाग में तैनात करने के लिए स्पष्ट अनुमति और प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक होता है। लेकिन इस मामले में प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया।
यही कारण है कि यह तैनाती अब सुर्खियों में है और प्रशासनिक गलियारों में सवालों का कारण बन रही है।गौरतलब है कि सरकारी विभागों में नियमों के विपरीत तैनाती के मामले अक्सर विवादों को जन्म देते रहे हैं। ऐसे मामलों में न केवल कर्मचारियों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, बल्कि जनता का भरोसा भी प्रशासनिक व्यवस्था से डगमगाने लगता है। शिकायतकर्ता ने कहा है कि यदि इस मामले में शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई तो वे न्यायालय का दरवाजा खटखटाएंगे। उनका दावा है कि आरटीआई से प्राप्त दस्तावेज इस तैनाती को अवैध साबित करने के लिए पर्याप्त हैं।प्रशासन इस गंभीर आरोप पर क्या कदम उठाता है। क्या नियमों के विपरीत की गई तैनाती को रद्द किया जाएगा या फिर यह मामला भी अन्य विवादों की तरह फाइलों में दबकर रह जाएगा।










