
- मुख्य आरोपी अरेस्ट, फर्जी कंपनियों का नेटवर्क उजागर
New Delhi : दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की साइबर सेल ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए देशभर में लोगों को ठगने वाले स्टॉक मार्केट इन्वेस्टमेंट फ्रॉड गिरोह का पर्दाफाश किया है। यह गिरोह GTR Electronics Pvt. Ltd. और Udyam Women Empowerment Foundation नाम से फर्जी कंपनियां चलाकर निवेशकों से करोड़ों रुपये की ठगी कर रहा था।
टीम ने कार्रवाई करते हुए GTR Electronics Pvt. Ltd. के डायरेक्टर सुनील कुमार को गिरफ्तार किया है। वहीं महाराष्ट्र के ठाणे से विशाल चौरे और उसकी पत्नी A को भी पकड़ा गया है, जो “Udyam Women Empowerment Foundation” के नाम से फर्जी फाउंडेशन चलाकर ठगी के पैसे अपने बैंक खातों में ले रहे थे।
कैसे हुआ खुलासा
यह मामला तब सामने आया जब एक पीड़ित ने शिकायत की कि सोशल मीडिया पर एक महिला ने उसे बहला-फुसलाकर एक फर्जी विदेशी ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म पर निवेश करवाया, जिससे उसे ₹1.6 करोड़ का नुकसान हुआ। जब वित्तीय लेन-देन की जांच की गई, तो पता चला कि—
- 15 लाख रुपये GTR Electronics Pvt. Ltd. के खाते में गए
- 11 लाख रुपये Udyam Women Empowerment Foundation के खाते में ट्रांसफर हुए
- ये खाते साइबर अपराध से कमाए पैसों को जमा करने और घुमाने के लिए इस्तेमाल किए जाते थे
क्राइम ब्रांच ने पता लगाया कि जीटीआर इलेक्ट्रॉनिक्स का शाकूरपुर, दिल्ली में एक फर्जी दफ्तर बनाया गया था, जिसे सिर्फ मनी लॉन्ड्रिंग के लिए तैयार किया गया था। वहीं ठाणे में पति-पत्नी की टीम फर्जी फाउंडेशन के नाम पर पैसा जमा कर रही थी।
अभियान और गिरफ्तारी
क्राइम ब्रांच टीम ने रणनीतिक छापेमारी करते हुए बल्लभगढ़ और ठाणे में ऑपरेशन चलाया और तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
आरोपियों का विवरण
- सुनील कुमार, फतेहाबाद, आगरा निवासी
- विशाल चौरे और उसकी पत्नी A, निवासी डोंबिवली, ठाणे, महाराष्ट्र
पूछताछ में सुनील कुमार ने खुलासा किया कि उसने अपने साथियों के साथ मिलकर कंपनी रजिस्टर करवाई थी। शाकूरपुर में किराए पर दफ्तर लिया था और सारे दस्तावेज व बैंक खाते के विवरण अपने साथियों को दे दिए थे, जो इन्हें संचालन करते थे।
ठगी की पूरी तस्वीर
- GTR Electronics से जुड़ी 13 शिकायतें, जिनमें ₹88,40,700 का पता चला
- Women Empowerment Foundation से जुड़ी 45 शिकायतें, जिनमें ₹22,00,700 का पता चला
टीम की सराहनीय भूमिका
यह सफलता इंस्पेक्टर मंजीत कुमार, एसआई पर्वेश कुमार, एएसआई कंवरपाल, एचसी विपिन, एचसी मनीष और एचसी विनोद की सूझबूझ और ठोस डिजिटल व वित्तीय जांच के कारण संभव हो सकी। पूरी कार्रवाई एसीपी अनिल शर्मा की निगरानी में की गई।
क्राइम ब्रांच अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों और धोखाधड़ी में इस्तेमाल पूरे वित्तीय नेटवर्क का पता लगाने में जुटी हुई है।














