गांव के स्कूल से बॉलीवुड के शिखर तक: जानें धर्मेंद्र की पढ़ाई और संघर्ष की कहानी

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र अब हमारे बीच नहीं रहे। आज उनका निधन हो गया, और हिंदी सिनेमा ने अपना “ही-मैन” हमेशा के लिए खो दिया। ऐसे समय में आइए जानते हैं उनके जीवन, शिक्षा और संघर्ष से जुड़ी कुछ खास बातें।

बीते सप्ताह उनकी तबीयत अचानक बिगड़ गई थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सुधार के बाद उन्हें छुट्टी भी मिल गई थी, लेकिन आज यह दुखद खबर सामने आई।

धर्मेंद्र का जन्म और बचपन पंजाब के सहनेवाल गांव में बीता। उन्होंने अपनी शुरुआती पढ़ाई गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सहनेवाल से पूरी की। यही वह मिट्टी थी, यही स्कूल के कच्चे मैदान थे, जहां उनके सपनों ने पहली बार उड़ान भरी।

स्कूल के बाद उन्होंने रामगढ़िया कॉलेज, फगवाड़ा (पंजाब) से इंटरमीडिएट किया। वह पढ़ाई में सामान्य थे, लेकिन अभिनय और फिल्मों की दुनिया उन्हें बचपन से ही किसी चुंबक की तरह खींचती थी। कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने तय कर लिया था कि एक दिन बड़े पर्दे पर अपनी पहचान बनानी है।

1960 के दशक में धर्मेंद्र ने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखा। उनकी पहली फिल्म ‘दिल भी तेरा हम भी तेरे’ थी, और इसी फिल्म से शुरू हुई वह यात्रा जिसने उन्हें धीरे-धीरे सादगी से स्टारडम तक पहुंचा दिया।

‘शोले’, ‘सीता और गीता’, ‘चुपके चुपके’, ‘धर्मवीर’, ‘बेताब’—
इन फिल्मों ने धर्मेंद्र को बॉलीवुड का सबसे चमकता सितारा बना दिया। उनका अभिनय, उनकी सादगी और उनका ईमानदार अंदाज़ हर भूमिका में झलकता था।‌

70 के दशक में उन्होंने अपनी काया, एक्शन स्टाइल और करिश्मे से नया ट्रेंड सेट किया। दर्शकों ने उन्हें प्यार से “ही-मैन ऑफ बॉलीवुड” का खिताब दिया।

धर्मेंद्र ने साबित किया कि गांव के एक साधारण स्कूल से पढ़ा लड़का भी पूरी दुनिया का दिल जीत सकता है।

2023 में वह फिर बड़े पर्दे पर ‘रॉकी और रानी की प्रेम कहानी’ में दिखाई दिए। उनकी आखिरी फिल्म ‘इक्कीस’ (2025) में रिलीज़ होने वाली थी।

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