दुबई एयर शो हादसे में शहीद विंग कमांडर नमांश स्याल का सैन्य सम्मान के साथ हुआ अंतिम संस्कार

धर्मशाला : दुबई एयर शो हादसे में तेजस विमान क्रैश में शहीद हुए विंग कमांडर नमांश स्याल का रविवार दोपहर बाद उनके पैतृक गांव में सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार कर दिया गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में नगरोटा बगवां के लोगों ने नमांश स्याल की अंतिम यात्रा में हिस्सा लेकर उन्हें अंतिम विदाई दी। प्रदेश सरकार की ओर से कैबिनेट रैंक पर्यटन निगम के अध्यक्ष एवं स्थानीय विधायक आरएस बाली मुख्य रूप से मौजूद रहे। इसके अलावा उपमुख्य सचेतक विधानसभा केवल पठानिया, खेल मंत्री यादविंद्र गोमा सहित अन्य पार्टी नेता और अन्य लोग मौजूद रहे।

इससे पूर्व रविवार को शहीद पायलट का पार्थिव शरीर कांगड़ा के गगल एयरपोर्ट पंहुचा। एयरपोर्ट पर आरएस बाली ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। बाद में पूरे सम्मान और भावनात्मक माहौल में अंतिम सलामी दी गई।

एयरफ़ोर्स के जवानों ने पूरे सैन्य प्रोटोकॉल के साथ पार्थिव देह को एयरफ़ोर्स वाहन में लाया और उसके बाद श्रद्धांजलि प्रक्रिया शुरू हुई। इस दौरान लोगों की आंखें नम थीं और हर चेहरे परगर्व के साथ दर्द साफ दिख रहा था।

कांगड़ा में पार्थिव शरीर पहुंचते ही बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे और भारत माता के जयकारों के बीच भावुक माहौल बन गया।

कैबिनेट रैंक के नेता आरएस बाली ने पहुंचकर शहीद के पार्थिव शरीर को नमन किया और पुष्प अर्पित कर अंतिम विदाई दी।

उन्होंने कहा कि नमांश स्याल केवल हिमाचल के ही नहीं बल्कि देश के बेटे थे और उनकी वीरता और समर्पण को राष्ट्र कभी नहीं भूलेगा। उन्होंने परिवार को सांत्वना देते हुए कहा कि राज्य सरकार हर कदम पर परिवार के साथ खड़ी है।

सेना, जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर शहीद को अंतिम सलामी दी। अंतिम संस्कार की प्रक्रिया सैन्य सम्मान के साथ पूरी की गई।

उधर परिवार के अनुसार हादसे की सूचना शुक्रवार शाम मिली थी। शहीद के ताऊ जोगिंदर नाथ स्याल ने बताया कि शुरुआत में सूचना अनौपचारिक रूप से आई और बाद में आधिकारिक पुष्टि हुई।

हादसा उस समय हुआ, जब दुबई एयर शो के दौरान भारतीय वायुसेना का तेजस लड़ाकू विमान फ्लाइंग डिस्प्ले दे रहा था। भारतीय समयानुसार लगभग दोपहर 2 बजे विमान का नियंत्रण अचानक खो गया और विमान रनवे के पास क्रैश हो गया। हादसा इतना तेज था कि पायलट को बचाया नहीं जा सका।

नमांश स्याल मूल रूप से कांगड़ा जिले की नगरोटा बगवां विधानसभा क्षेत्र के पटियालकर पंचायत के रहने वाले थे। उन्होंने सुजानपुर सैनिक स्कूल से पढ़ाई की थी। उनके पिता भी भारतीय सेना में अधिकारी रहे और बाद में शिक्षा विभाग में प्रिंसिपल के पद से सेवानिवृत्त हुए।

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