
चंपावत : चंपावत जिले में साहसिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए डांडा-ककनई क्षेत्र में पैराग्लाइडिंग गतिविधियां शुरू हो गई हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के पर्यटन क्षेत्र में रोजगार वृद्धि के निर्देशों के बाद यह कदम उठाया गया है। बाणासूर के बाद अब डांडा-ककनई भी पैराग्लाइडिंग के केंद्र के रूप में विकसित हो रहा है।
वर्तमान में डांडा में ‘पैराग्लाइडिंग उड़ान अभ्यास’ प्रशिक्षण कार्यक्रम चल रहा है। इसमें प्रतिभागियों को सोलो पैराग्लाइडिंग पायलट प्रशिक्षण दिया जा रहा है। पायलटों को सोलो उड़ान का अभ्यास कराया जा रहा है, और 100 घंटे की उड़ान पूरी होने पर वे टैंडम (कमर्शियल) पायलट प्रशिक्षण के लिए पात्र हो जाएंगे। पहला बैच 6 नवंबर से 25 नवंबर तक और दूसरा बैच 26 नवंबर से 16 दिसंबर तक निर्धारित किया गया है।
विशेषज्ञों के अनुसार, ककनई क्षेत्र पैराग्लाइडिंग के लिए अत्यंत उपयुक्त है। यहां बेहतर थर्मल, उपयुक्त हवा का रुख और सुरक्षित लैंडिंग क्षेत्र उपलब्ध हैं, जो इसे उच्च स्तरीय उड़ान स्थलों की श्रेणी में शामिल करते हैं। पायलट यहां लगभग तीन घंटे तक हवा में रोमांचक उड़ान का अनुभव कर रहे हैं। महाराष्ट्र के अनुभवी प्रशिक्षक आकाश ने भी ककनई साइट को प्रतियोगितात्मक पैराग्लाइडिंग के लिए आदर्श स्थान बताया है और भविष्य में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताएं आयोजित होने की संभावना जताई है।
पर्यटन सचिव धीराज गर्ब्याल की पहल पर प्रदेश में नई पैराग्लाइडिंग साइटों की पहचान की जा रही है। इसके तहत 120 से अधिक पैरा पायलटों को विशेषज्ञों की निगरानी में प्रशिक्षित किया जा रहा है। चंपावत के डांडा-ककनई क्षेत्र भी इसी अभियान का महत्वपूर्ण हिस्सा बन रहे हैं। पूरा प्रशिक्षण कार्यक्रम साहसिक खेल अधिकारी एवं प्रशिक्षण समन्वयक बलवंत सिंह कपकोटी के निर्देशन में संचालित हो रहा है। अधिकारियों का मानना है कि इन पैराग्लाइडिंग स्थलों के विकसित होने से स्थानीय युवाओं को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे और चंपावत साहसिक पर्यटन के प्रमुख केंद्र के रूप में स्थापित होगा।










