
झांसी। गरौठा तहसील क्षेत्र के प्रतापपुरा स्थित बेतवा नदी के बालू घाटों पर अवैध खनन का खेल किसी खुली चुनौती की तरह जारी है। वैध खनन की आड़ में प्रतिबंधित क्षेत्रों में भी बालू निकालने का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा। स्थानीय लोगों और ग्रामीणों का आरोप है कि यह सब खनन विभाग और प्रशासन की शिथिलता या फिर कथित मिलीभगत के बिना संभव नहीं है।
प्रतिबंधित क्षेत्रों में धड़ल्ले से मशीनें चल रहीं
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के नियम स्पष्ट रूप से नदी की गर्भस्थली में भारी मशीनों से खनन पर रोक लगाते हैं। लेकिन प्रतापपुरा घाट की तस्वीरें और स्थानीय लोगों के वीडियो बताते हैं कि इन नियमों को ताक पर रखकर जेसीबी और पोकलेन मशीनों से नदी की तलहटी को गहराई तक खोद दिया जा रहा है।
इन मशीनों के चलते नदी के भीतर कई फिट गहरे गड्ढे बन गए हैं, जिनसे बड़ी दुर्घटनाओं की आशंका बढ़ गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे गड्ढे बरसात के समय भंवर जैसी स्थितियां पैदा कर सकते हैं और जल प्रवाह को असंतुलित करके पर्यावरण को दीर्घकालिक नुकसान पहुंचा सकते हैं।
दिन-रात चल रहे ओवरलोड ट्रक, बिना रॉयल्टी का खेल जारी
ग्रामीणों ने बताया कि घाट से बिना रॉयल्टी की बालू लेकर निकलने वाले ट्रकों की कतारें दिन-रात देखी जा सकती हैं। इनमें से कई ट्रक बिना नंबर के होते हैं, जबकि कई वाहनों पर फर्जी नंबर प्लेट लगाए जाने की बात भी सामने आई है। ओवरलोड रेत से लदे ये ट्रक न केवल सड़कों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि गांवों के रास्तों पर धूल और प्रदूषण फैलाकर लोगों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा बन चुके हैं।
प्रशासन की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
ग्रामीणों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर चल रहे अवैध खनन पर प्रशासन और खनन विभाग का मौन संदेह पैदा करता है।
अक्सर शिकायतों के बावजूद मौके पर न तो प्रभावी छापेमारी होती है और न ही जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई।
लोगों का कहना है कि खनन माफिया इतने बेखौफ हैं कि उन्होंने नदी की प्राकृतिक धारा तक को प्रभावित करना शुरू कर दिया है, लेकिन विभागीय कार्रवाई सिर्फ कागजों तक सीमित है।
पर्यावरण को गंभीर खतरा
पर्यावरणविदों का मानना है कि इस तरह का खनन आने वाले वर्षों में बेतवा नदी को गंभीर क्षति पहुंचा सकता है। अत्यधिक दोहन के कारण नदी की गहराई और चौड़ाई में अनियंत्रित बदलाव हो रहे हैं, जिससे जल संग्रहण क्षमता प्रभावित होती है।
साथ ही, नदी के किनारे बसे गांवों में कटान की समस्या भी बढ़ने लगी है। नदी में गहराई बढ़ने से जल स्तर नीचे जा रहा है, जिसका असर आसपास के कुओं और बोरवेलों पर भी पड़ रहा है। स्थानीय लोगों की मांग, तत्काल कार्रवाई हो
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि प्रतापपुरा घाट पर अवैध खनन को रोकने के लिए तुरंत कड़े कदम उठाए जाएं। उनका कहना है कि नदी को बचाने के लिए जरूरी है कि– अवैध खनन में शामिल मशीनों को जब्त किया जाए, बिना रॉयल्टी और बिना नंबर प्लेट वाले ट्रकों पर सख्ती की जाए, खनन विभाग के अधिकारियों की भूमिका की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए और NGT के नियमों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित किया जाए।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि अवैध खनन पर रोक नहीं लगी, तो वे बड़े आंदोलन के लिए मजबूर होंगे। फिलहाल, प्रतापपुरा घाट और आसपास के इलाकों में लोग चिंता और आक्रोश की स्थिति में हैं।
बेतवा नदी के अस्तित्व और पर्यावरण संतुलन को बचाने के लिए प्रशासन की सक्रियता बड़ी जरूरत बन चुकी है।











