जगन्नाथ रत्न भंडार विवाद : एसजेटीए की घोषणा पर भाजपा–बीजद आमने-सामने

भुवनेश्वर : ओडिशा के पुरी स्थित श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने शुक्रवार को बताया कि रत्न भंडार की सूची तैयार करने का कार्य चरणबद्ध तरीके से किया जाएगा और इसे अगली अक्षय तृतीया (19 अप्रैल 2026) तक पूरा कर लिया जाएगा। इस घोषणा पर प्रदेश की मुख्य विपक्षी पार्टी बीजू जनता दल (बीजद) ने आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा सरकार जानबूझकर देरी कर रही है और टालमटोल की राजनीति में लगी है।

भाजपा का पलटवार
भाजपा प्रवक्ता अनिल बिस्वाल ने कहा कि बीजद को इस विषय पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है, क्योंकि उसकी 24 साल की सरकार ने कभी रत्न भंडार खोला ही नहीं। उन्होंने दावा किया कि भाजपा सरकार ने सत्ता में आने के 13 महीनों के भीतर ही रत्न भंडार खुलवाकर उसकी मरम्मत पूरी करवाई। साथ ही 2015 के नवकलेवर उत्सव में बीजद सरकार की गंभीर लापरवाही का भी आरोप लगाया।

बीजद की प्रतिक्रिया
बीजद प्रवक्ता लेनिन मोहंती ने कहा कि भाजपा ने चुनावों के दौरान रत्न भंडार को लेकर झूठ फैलाया और वादा किया कि सत्ता में आते ही गहनों की गिनती शुरू की जाएगी, लेकिन अब सरकार इससे पीछे हट रही है। उन्होंने मंदिर के ‘दर्शन’ व्यवस्था और ‘परिक्रमा परियोजना’ में अव्यवस्था के आरोप भी लगाए। बीजद का कहना है कि एसी टनल हटने से श्रद्धालुओं को असुविधा हो रही है और मंदिर परिसर में अक्सर भीड़ व कुप्रबंधन देखने को मिलता है।

प्रबंधन समिति पर भी सवाल
बीजद ने यह भी आरोप लगाया कि जगन्नाथ मंदिर अधिनियम, 1955 के अनुसार प्रबंध समिति में 18 सदस्य होने चाहिए, जबकि वर्तमान सरकार ने केवल 10 सदस्यों की नियुक्ति की है, जो मंदिर प्रबंधन के प्रति गंभीरता की कमी दर्शाता है।

रत्न भंडार क्या है?
रत्न भंडार को 14 जुलाई 2024 को 46 साल बाद खोला गया था। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने लगभग एक वर्ष तक इसकी मरम्मत की। बीजद का कहना है कि प्रबंधन समिति में पूरी नियुक्तियां न करना सरकार की उदासीनता को दर्शाता है।

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