
Bihar Cabinet : बिहार के पटना में गांधी मैदान में आज बड़े धूमधाम से आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दसवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। गांधी मैदान के मंच पर भले ही नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली हो, मगर बिहार की सत्ता की बागडोर जदयू के हाथ में नहीं बल्कि बीजेपी के हाथ रहेगी। ये इसलिए ऐसा नहीं कहा जा रहा है कि भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी है और एनडीए का सबसे बड़ा सहयोगी दल है, बल्कि इसलिए कहा जा रहा है कि क्योंकि बिहार की कैबिनेट में मंत्रियों की संख्या भाजपा पाले से अधिक है। भाजपा के कोटे से 14 मंत्रियों ने शपथ ली, जबकि जेडीयू के कोटे से केवल 8 मंत्रियों ने ही शपथ ली।
बिहार में 26 मंत्रियों ने शपथ ली
बिहार में एनडीए सरकार का गठन हो गया है। एनडीए से कुल 26 मंत्रियों ने शपथ ली। जिसमें भाजपा के 14 मंत्री, जदयू के 8 मंत्री, एलजेपी (रामविलास) के 2 मंत्री, हम से एक मंत्री और आरएलएम के एक मंत्री ने नीतीश कुमार के साथ शपथ ली।
- भाजपा के कोटे से 14 मंत्री- सम्राट चौधरी (उपमुख्यमंत्री), विजय कुमार सिन्हा (उपमुख्यमंत्री), प्रेम कुमार, नितिन नवीन, नंदकिशोर यादव, मंगल पांडेय, रेणु देवी, नीरज सिंह बबलू, शाहनवाज हुसैन, जनक राम, सुनील कुमार, रश्मि वर्मा, दामोदर सिंह, केदार गुप्ता ने शपथ ली।
- जदयू के कोटे से 8 मंत्री- विजय कुमार चौधरी, श्रवण कुमार, अशोक चौधरी, लेशी सिंह, बिजेंद्र यादव, जयंत राज, मदन सहनी, रत्नेश सदा ने शपथ ली।
- एलजेपी (रामविलास) के कोटे से दो मंत्री, हम (सेक्युलर) के कोटे से एक मंत्री और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाहा) के कोटे से एक मंत्री ने शपथ ली।
नीतीश कुमार की सरकार की कैबिनेट मंत्रियों की लिस्ट में भाजपा मंत्रियों की संख्या ज्यादा है। भाजपा को उपमुख्यमंत्री पद के साथ बड़े विभाग जैसे गृह, वित्त, ऊर्जा की जिम्मेदारी दी गई है, जिससे उसका प्रभाव और बढ़ गया है। भाजपा ने सम्राट चौधरी को डिप्टी सीएम के साथ-साथ ग्रह विभाग, वित्त मंत्रालय और ऊर्जा
भाजपा का वर्चस्व बड़ा क्यों?
बिहार विधानसभा में सीटें भाजपा के पास 89, जदयू के पास 85, यानी दोनों बराबर के आंकड़े हैं। बिहार मंत्रिमंडल में भाजपा को आधे से ज्यादा हिस्सा दिया गया है। दोनों उपमुख्यमंत्री पद भी भाजपा के सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ही हैं। जिससे बिहार की कुर्सी की तस्वीर बिल्कुल साफ हो गई है, कुर्सी पर नीतीश कुमार बैठेंगे लेकिन पावर केंद्र के पास रहेगी यानी भाजपा ही बिहार की सत्ता को संभालेगी। बिहार का नेतृत्व पीएम मोदी और अमित शाह के हाथ में रहेगा।
अब ऐसे में एक बड़ा सवाल ये है कि बिहार की सत्ता की शक्तियां अगर बीजेपी के हाथों में होगी तो जदयू के नेताओं में असंतोष जागेगा। अब नीतीश कुमार सिर्फ नाम का मुख्यमंत्री रह गए हैं; असली नियंत्रण दिल्ली और पटना में बैठे भाजपा के हाथों में है। एक जदयू नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “हमने साथ में लड़ा, साथ जीता, लेकिन बंटवारे में हार गए।”
विपक्षी नेताओं का तंज भी जारी है। तेजस्वी यादव ने कहा, “नीतीश जी ने कुर्सी के लिए भाजपा का सहारा ले लिया है। अब बिहार भाजपा का गुलाम बन चुका है।” वहीं कांग्रेस ने कहा, “डबल इंजन की सरकार नहीं, बल्कि एक ही इंजन (भाजपा) ने दूसरे (नीतीश) को कुचल दिया।”
भाजपा के प्रवक्ता का कहना है, “यह साझा नेतृत्व है। सीटों के हिसाब से ही बंटवारा हुआ है। बिहार का विकास और तेज़ होगा।”
हालांकि, अब बिहार की राजनीति में यह साफ हो चुका है कि नीतीश कुमार का युग खत्म हो चुका है, और “भाजपा युग” शुरू हो रहा है। यह बदलाव कई राजनीतिक विश्लेषकों के लिए नई दिशा और नई चुनौतियों का संकेत है, जिसमें भाजपा का वर्चस्व और नीतीश कुमार की भूमिका दोनों ही बदल चुकी है।















