
जयपुर : सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज से संबद्ध सभी अस्पतालों के अधीक्षकों ने सोमवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग के विवादित आदेश के खिलाफ सामूहिक इस्तीफे कॉलेज प्रिंसिपल को सौंप दिए। विभाग ने हाल ही में निर्देश जारी किया था कि सरकारी मेडिकल कॉलेजों के प्रिंसिपल, नियंत्रक और अधीक्षक निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे। वरिष्ठ चिकित्सकों ने इस आदेश को अधिकारों का हनन बताते हुए तीव्र विरोध शुरू कर दिया है। राजस्थान मेडिकल कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (RMCTA) ने भी आदेश की मंशा पर सवाल उठाते हुए स्पष्टीकरण की मांग की है।
मंत्री बोले— इस्तीफे नहीं मिले, मांगें सरकार के विचाराधीन
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने कहा कि उन्हें अधीक्षकों के इस्तीफे अभी प्राप्त नहीं हुए हैं। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने कुछ मांगें रखी हैं जिन पर सरकार विचार कर रही है। मंत्री ने स्पष्ट किया कि प्राचार्य और अधीक्षक जैसे पद पूर्णकालिक प्रशासनिक दायित्वों की मांग करते हैं, इसलिए इनके निजी प्रैक्टिस में व्यस्त रहने से अस्पताल प्रबंधन प्रभावित हो सकता है। इसी कारण आदेश जारी किया गया है।
प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त करने पर विचार
मंत्री ने कहा कि यदि प्राचार्य और अधीक्षक प्रशासनिक जिम्मेदारियां निभाने के इच्छुक नहीं हैं, तो मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों में अलग से प्रशासनिक अधिकारी नियुक्त करने के विकल्प पर सरकार विचार कर सकती है।
क्या है विवादित आदेश?
11 नवंबर को जारी आदेश में प्रमुख बिंदु शामिल हैं—
- प्रिंसिपल और अधीक्षक निजी प्रैक्टिस नहीं कर सकेंगे।
- डॉक्टर सीधे प्रिंसिपल नहीं बनाए जाएंगे।
- प्रिंसिपल के लिए 3 वर्ष अधीक्षक/अतिरिक्त प्रिंसिपल और 2 वर्ष HOD अनुभव अनिवार्य।
- चयन हेतु 4 सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति गठित।
- क्लीनिकल कार्य की सीमा 25% तय।
- दोनों पदाधिकारियों को यूनिट हेड या HOD नहीं बनाया जाएगा।










