दुभाषिया न होने पर उत्तराखंड हाईकोर्ट ने चार चीनी नागरिकों का ट्रायल किया रद्द

नैनीताल : उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने कहा है कि यदि कोई आरोपी अदालत की भाषा नहीं जानता, तो उसे आरोप समझाने के लिए दुभाषिये की अनिवार्य रूप से व्यवस्था की जानी चाहिए। इसी आधार पर कोर्ट ने चार चीनी नागरिकों के खिलाफ चल रहे आपराधिक मामले को रद्द करते हुए ट्रायल दोबारा शुरू करने और अनिवार्य रूप से दुभाषिया उपलब्ध कराने के आदेश दिए। अदालत ने इसे ट्रायल की मौलिक त्रुटि बताते हुए पूरा मुकदमा अवैध करार दिया।

न्यायमूर्ति आशीष नैथानी की अदालत में यह मामला सुनवाई के लिए आया। 2019 में बनबसा क्षेत्र में सीमा जांच के दौरान जिनचोग लिआओ सहित चार चीनी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप था कि वे बिना वैध दस्तावेजों के भारत में प्रवेश किए थे। उनके खिलाफ कई धाराओं में केस दर्ज हुआ। कुछ आरोपों से उन्हें बरी किया गया, जबकि अन्य में दोषी ठहराया गया। सेशन कोर्ट ने भी फैसला कायम रखा, जिसके बाद आरोपियों ने हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की।

हाईकोर्ट ने पाया कि ट्रायल कोर्ट के रिकॉर्ड के अनुसार आरोपी न तो अंग्रेजी जानते थे और न ही हिंदी, बल्कि केवल चीनी भाषा समझते थे। इसके बावजूद उनके खिलाफ आरोप बिना दुभाषिए के फ्रेम किए गए। अदालत ने कहा कि जब आरोपी आरोप ही नहीं समझ सकता, तो पूरा ट्रायल निरर्थक हो जाता है और ऐसी त्रुटि बाद में दुरुस्त नहीं की जा सकती। दुभाषिया बाद में उपलब्ध कराने से यह खामी दूर नहीं होती।

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