Lucknow : मत्स्य विभाग ने नदियों में छोड़ी करीब 70 लाख रुपयों की मरी हुई मछलियां

  • मंत्री संजय निषाद भी नहीं पहचान पाएं मरी हुई मछलियां
  • नदियों में छोड़ी गई चार करोड़ रुपयों की मछलियों के होने न होने की मॉनिटरिंग क्यों नहीं

Lucknow : उत्तर प्रदेश की नदियों में हर साल मत्स्य विभाग की सरकारी योजनाओं के बीच लाखों मारी हुई मछलियां पानी में छोड़ दी जाती हैं।

मत्स्य विभाग का दावा है कि नदियों के इकोसिस्टम को संतुलित करने और नदियों से मछलियों की शिकार कर परिवार का पालन करने वालों को रोज़ी-रोज़गार उपलब्ध कराने के उद्देश्य है। रेहू, कतला,नैनी आदि प्रजातियों की मछलियों को नदियों में छोड़ा जाता है। इस साल क़रीब डेढ़ करोड़ मछलियों के बच्चों को प्रदेश की विभिन्न नदियों में छोड़ा गया है।

लखनऊ में सोमवार को यूपी के मत्स्य विभाग मंत्री संजय निषाद ने दो लाख मछलियों को गोमती नदी रिवर फ्रंट पर पानी में छोड़ा गया था। जिसमें हजारों की संख्या में मरी हुई मछलियां छोड़ दी गई। इस दौरान मरी हुई मछलियां पानी में तैरने लगी। 2 लाख मछलियां लखनऊ में सुल्तान पुर रोड पर स्थित गोमती फिश हैचरी से क़रीब पांच लाख पचास हजार रूपये में खरीद कर आई थीं। मिली जानकारी के अनुसार करीब 10 फ़ीसदी मछलियां रिवाइवल की वजह से मर जाती है। डेढ़ करोड़ मछलियों के बच्चों में से करीब 15 लाख मरे हुए बच्चों को नदियों में छोड़ दिया गया है। जिसकी अनुमानित कीमत 70 लाख से अधिक होगी।

नूरुसबुर रहमानी, निदेशक मत्स्य विभाग – फिश हैचरी से दो लाख रेहू, कतला, नैनी प्रजातियों की मछलियों के बच्चों को क्रमशः 1/3 पानी 2/3 आक्सीजन के पैक करके लाया गया था। फ़िर भी हजारों मछलियों के बच्चे रिवाइवल की वजह से मर गए, पूरे प्रदेश की विभिन्न नदियों में क़रीब डेढ़ करोड़ मछलियों के बच्चे छोड़े गए हैं। मछलियों के बच्चों की मृत्यु दर कम हो इसके लिए हम भविष्य में किसी इंस्टिट्यूट की राय लेकर सुधार करेंगे।

सबसे बड़ा सवाल —पूरे प्रदेश की विभिन्न नदियों में छोड़ी गई क़रीब चार करोड़ से अधिक क़ीमत की मछलियों के होने न होने की मॉनिटरिंग मत्स्य विभाग के वश की बात है।

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