
काठमांडू। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा से जुड़े और ‘फ्री तिब्बत अभियान’ का गैर-आधिकारिक ‘राजदूत’ माने जाने वाले गावंग छोक्डुप की नेपाली नागरिकता को लेकर गृह मंत्रालय के आदेश के बाद जांच शुरू कर दी गई है। यह जांच नेपाल में चीनी दूतावास की तरफ से दबाव बनाने के बाद शुरू हुई है। सोलुखुम्बु जिला प्रशासन कार्यालय जांच कर रहा है कि तिब्बती मूल के छोक्डुप ने नेपाली नागरिकता और पासपोर्ट किस प्रकार प्राप्त किया।
सोलुखुम्बु की प्रमुख जिला अधिकारी लीला कुमारी केसी पांडे ने उनकी नागरिकता पर जांच शुरू होने की पुष्टि की। उन्होंने यह भी बताया कि छोक्डुप को बयान के लिए बुलाया जा चुका है। इस विषय पर गृह मंत्रालय के सूचना अधिकारी उप-सचिव रविन्द्र आचार्य ने कहा कि जिस जिले से नागरिकता जारी हुई है, वही जिला इसकी जांच करेगा। इसलिए यह कार्य वर्तमान में सोलुखुम्बु जिला प्रशासन कर रहा है।
नेपाल के गृहमंत्री ओमप्रकाश अर्याल से 14 अक्टूबर को नेपाल में चीनी राजदूत छेन सोंग ने मुलाकात के दौरान जेन-जी आंदोलन में तोड़फोड़ और आगजनी करने के आरोप में फ्री तिब्बत मूवमेंट के युवाओं की राजनीतिक सक्रियता पर सवाल खड़ा किया था। इसके बाद गृह मंत्रालय के निर्देश पर तेन्जिंग दावा को जिला अदालत काठमांडू में पेश कर पुलिस रिमांड पर लिया था। वैसे तो उसे सोशल मीडिया के एक पोस्ट के कारण नियंत्रण में लिया गया था, जिसमें उसने पिस्टल के साथ रील बनाई थी। इस समय दावा काठमांडू जिला पुलिस के रिमांड पर है।
इसके तुरंत बाद ही काठमांडू स्थित चीनी दूतावास की तरफ से विदेश मंत्रालय के मार्फत गृह मंत्रालय को कूटनीतिक नोट लिखते हुए नेपाल में तिब्बती शरणार्थी को नेपाली नागरिकता दिए जाने और उनकी राजनीतिक सक्रियता पर चिंता जताई गई थी। विदेश मंत्रालय के उच्च अधिकारी ने बताया कि चीनी दूतावास की तरफ से भेजे गए इस डिप्लोमेटिक नोट में दलाई लामा के नेपाल प्रतिनिधि के नेपाली नागरिकता और पासपोर्ट की जांच करने का आग्रह किया गया था।
छोक्डुप को ‘फ्री तिब्बत अभियान’ का गैर-आधिकारिक “राजदूत” माना जाता है। केंद्रीय तिब्बती प्रशासन ने 19 अगस्त, 2022 को उन्हें काठमांडू स्थित तिब्बती शरणार्थी सामुदायिक कार्यालय के लिए आधिकारिक प्रतिनिधि नियुक्त किया था। काठमांडू के लाजिम्पाट क्षेत्र में स्थित यह कार्यालय नेपाल में मौजूद विभिन्न सरकारी संस्थाओं तथा कूटनीतिक मिशनों से समन्वय करता है और तिब्बती शरणार्थियों की सहायता से जुड़े कार्य संभालता है। दलाई लामा से भेंट कर शपथ लेने के बाद छोक्डुप 3 नवम्बर, 2022 को नेपाल आए और पदभार ग्रहण किया।
दिलचस्प तथ्य यह है कि नेपाल आने से पहले ही उन्होंने सोलुखुम्बु से नेपाली नागरिकता ले ली थी। तीन साल के कार्यकाल के लिए आए छोक्डुप की नागरिकता संख्या 111003-44 है, जिसमें उनका उपनाम “शेरपा” दर्ज है। इसी नागरिकता के आधार पर उन्होंने 2014 में पासपोर्ट बनवाया। 07703381 नंबर का वह पासपोर्ट 2 अगस्त, 2024 को समाप्त होना था, लेकिन उन्होंने उससे पहले ही एक और पासपोर्ट निकाल लिया है। 1 अप्रैल 2019 को जारी उनके दूसरे पासपोर्ट का नंबर 11381810 है, जिसकी वैधता 31 मार्च, 2029 तक है। इस पासपोर्ट के माध्यम से वे दर्जनों बार विदेश यात्रा कर चुके हैं।
काठमांडू स्थित चीनी राजदूत के लगातार दबाव के बाद छोक्डुप की नागरिकता और पासपोर्ट पर जांच शुरू की गई, जिसके बाद वह 22 अक्टूबर को सड़क मार्ग से नई दिल्ली होते हुए हिमाचल प्रदेश स्थित दलाई लामा के मुख्यालय धर्मशाला चले गए। 11 मई, 1982 को जन्मे छोक्डुप शुरू में सोलुखुम्बु स्थित ‘देलेक्लिंग चिल्सा तिब्बती शरणार्थी शिविर’ में रहते थे। यह शिविर नेपाल में मौजूद 12 तिब्बती शरणार्थी शिविरों में से एक है, जिसकी स्थापना 1962 में हुई थी।















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