
नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली हिंसा की जांच के संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करें। जस्टिस विवेक चौधरी की अध्यक्षता वाली पीठ ने 21 नवंबर को सुनवाई करने का आदेश दिया।
जमीयत उलेमा ए हिंद और दूसरे याचिकाकर्ताओं ने दायर याचिका में मांग की है कि दिल्ली में 2020 में हुई हिंसा की स्वतंत्र जांच की जाए। इसके साथ ही याचिका में यह भी मांग की गई है कि जांच करने वाली एसआईटी से दिल्ली पुलिस के सदस्यों को हटाया जाए। मंगलवार काे सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह याचिका पिछले 5 साल से लंबित है। हाई कोर्ट इस याचिका पर सुनवाई कैसे कर सकता है। कोर्ट ने याचिका कर्ताओं से कहा कि उन्हें मजिस्ट्रेट कोर्ट जाना चाहिए, जो जांच की मानिटरिंग कर सके।
पहले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दिल्ली दंगों की जांच और नेताओं के हेट स्पीच के खिलाफ उच्च न्यायालय में दाखिल हलफनामे में कहा था कि वे सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी, अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा, परवेश वर्मा और दूसरे नेताओं के भाषणों की पड़ताल कर रही है कि कहीं उनका दिल्ली की हिंसा से तो संबंध नहीं है।
पहले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा था कि इस मामले पर सुनवाई जरुरी है। कई नौजवानों को फंसाया जा रहा है। गोंजाल्वेस ने कहा था कि सुनवाई में जितनी देरी होगी पुलिस उतना ही प्रताड़ित करेगी। हम जामिया और उत्तर-पूर्वी दिल्ली हिंसा दोनों की जांच दिल्ली पुलिस से हटाकर दूसरी एजेंसी को देने की मांग कर रहे हैं। सुनवाई के दौरान वकील तारा नरुला ने कहा था कि अंतिम चार्जशीट दाखिल की जा चुकी है और ट्रायल शुरु होनेवाला है। हमें इस मामले पर दलीलें रखने की जरुरत है।
सुनवाई के दौरान जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से कहा गया था कि वीडियो फुटेज के संरक्षण के कोर्ट के पहले के आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से कहा गया था कि कोर्ट ने पहले आदेश दिया था कि वीडियो फुटेज का संरक्षण किया जाए। लेकिन कोर्ट के इस आदेश का पालन नहीं किया जा रहा है। यह एक चिंता की बात है क्योंकि वीडियो फुटेज इन मामलों का अहम हिस्सा हैं। जमीयत उलेमा ए हिन्द की ओर से कहा गया था कि दंगो में समुदाय विशेष के लोगों को टारगेट किया गया। समुदाय विशेष के पीड़ितों ने जब दूसरे समुदाय से ताल्लुक रखने वालों के खिलाफ नामजद एफआईआर दर्ज करानी चाही तो पुलिस ने एफआईआर दर्ज नहीं की। हमारी इन शिकायतों पर पुलिस ने कोई जवाब नहीं दाखिल किया है। जमीयत ने कहा था कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट का निष्कर्ष भी यही है कि दंगों में समुदाय विशेष को टारगेट किया गया। उन्होंने कहा था कि अल्पसंख्यक आयोग ने पांच सदस्यीय कमेटी से निष्पक्ष जांच कराए जाने की ज़रूरत जताई हैं। हम भी इससे सहमत है।
कोर्ट ने 12 मार्च, 2020 को दिल्ली सरकार, दिल्ली पुलिस समेत उन नेताओं को नोटिस जारी किया था, जिनके खिलाफ हेट स्पीच के मामले में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। कांग्रेस नेता सोनिया गांधी, वारिस पठान, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, भाजपा नेता कपिल मिश्रा और प्रवेश वर्मा के खिलाफ अलग-अलग याचिका दाखिल की गई थी। इन याचिकाओं में इन नेताओं के खिलाफ जल्द एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई है। याचिकाओं में कहा गया था कि उच्च न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई स्थगित कर गलत किया।















